आयोग की सुनवाई के दौरान तीन प्रकरण में पति-पत्नी एक साथ रहने हुये तैयार आयोग की समझाइश पर आवेदिका पत्नी को 13 हजार रुपये भरण पोषण राशि देने पति हुआ सुनवाई के दौरान पिता अपने बेटी को प्रतिमाह 5 हजार रूपये भरण-पोषण राशि देगा

आयोग की सुनवाई के दौरान तीन प्रकरण में पति-पत्नी एक साथ रहने हुये तैयार  आयोग की समझाइश पर आवेदिका पत्नी को 13 हजार रुपये भरण पोषण राशि देने पति हुआ  सुनवाई के दौरान पिता अपने बेटी को प्रतिमाह 5 हजार रूपये भरण-पोषण राशि देगा

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ अनीता रावटे ने आज राज्य महिला आयोग कार्यालय शास्त्री चौक रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ नायक ने अपने कार्यकाल की आज 157 वीं जनसुनवाई की।रायपुर की आज 83वीं जनसुनवाई में कुल 39 प्रकरण रखे गये थे। इनमे से 5 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए,शेष प्रकरण को आगामी सुनवाई में की जाएगी।
आज एक प्रकरण में अनावेदक ने अपने मूल शपथ पत्र आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया।जिसे यह पता चलता है कि आवेदिका के पिता से अनावेदक ने सीधे तौर पर विवादित जमीन नही खरीदा है। प्रकरण भी काफी पुराना प्रतीत होता है। इस आधार पर अयोग से अग्राह्य होने की स्तिथि में आवेदिका एवं अनावेदक के निवेदन पर अनावेदक के समस्त मूल दस्तावेजों के आयोग के अभिलेख में रखते हुए आवेदिका को समझाइश दिया गया कि अनावेदक के समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करें जिससे आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।
   एक अन्य प्रकरण में आवेदिका पत्नी अपने पति के साथ रहना चाहती हैं।उनके 2 बच्चे हैं।आयोग समझाइश पर दोनो को बच्चों के भविष्य के लिए आपसी राजीनामा के लिए तैयार हुए है। इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी में रखा गया है।इस प्रकरण पर 6 माह बाद सुनवाई होगी।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के मध्य मामूली विवाद है। आयोग द्वारा समझाइश दिए जाने पर दोनो आपसी रजामंदी से रहने तैयार हुए। इस प्रकरण को 6 माह को निगरानी में रहते हुए नस्तीबद्ध किया गया।एक अन्य प्रकरण में अनावेदक वरिष्ठ सहायक छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड राजनांदगांव में पदस्थ है। उन्होंने बताया कि सर्विस बुक में पत्नी का नाम दर्ज है किन्तु बच्चे का नाम दर्ज नहीं है,जिसकी प्रक्रिया अनावेदक स्वयं करेगा। उभय पक्षों कोआयोग द्वारा समझाइश दिया गया जिसमे  अनावेदक पति ने 13 हजार रूपये प्रतिमाह पत्नी को भरण पोषण  के लिए देना स्वीकार किया।
      एक अन्य प्रकरण में आयोग के समझाइश पर अनावेदक पति अपने बेटी के बैंक खाते में प्रतिमाह 5 हजार रुपये देना स्वीकार किया। इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी के साथ नस्तीबद्ध किया गया।एक अन्य प्रकरण में नर्मदापुरम मध्यप्रदेश के पुलिस आरक्षक आज अनावेदक को लेकर उपस्थित हुए। अनावेदक आयोग की पिछली सुनवाई में लगातार अनुपस्थित रहे थे। आयोग द्वारा थाना प्रभारी को भेजे गए पत्र के आधार पर पुलिस अभिरक्षा में अनावेदक आज की सुनवाई में उपस्थित हुआ।अनावेदक द्वारा पूछे जाने पर कि आवेदिका आपकी कौन है,अनावेदक ने इंकार किया कि मैं आवेदिका को नही जानता आयोग द्वारा पुनः पूछे जाने पर आपके भाई की पत्नी है।आवेदिका तब अनावेदक ने कहा कि मेरा भाई उसे पत्नी नहीं मानता था तो मैं भी नहीं मानता। इस स्तर पर आवेदिका ने शादी के कार्ड एवं फोटोग्राफ प्रस्तुत किये है।जिसमें शादी की रस्मों में अनावेदक अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के साथ नजर आ रहा है। फोटोग्राफ देखने पर अनावेदक ने स्वीकार किया कि आवेदिका उसके स्वर्गीय भाई की पत्नी है। अनावेदक ने बताया कि आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद उसे भाई के संपत्ति में कोई हक न देना पड़े इसलिये इस शादी को हर जगह इंकार किया था। आज पहली बार अनावेदक ने स्वीकार किया कि आवेदिका उसके मृतक भाई की पत्नी है। आयोग द्वारा पूछे जाने पर उसने अपने भांजे को बुलाया और दोनों अनावेदकगणों को आयोग द्वारा समझाइश दिये जाने पर संपत्ति के बंटवारा हेतु समय की मांग की गई। आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जायेगा।