राजस्‍थान : एक और छात्र ने किया सुसाइड, कोटा में इस साल अब तक 18 स्‍टूडेंट्स ने दी जान

भार्गव मिश्रा के सुसाइड के बाद इस साल अब तक स्टूडेंट्स सुसाइड का आंकड़ा 18 पर पहुंच गया है, जो पिछले सालों की अपेक्षा डराने वाला हैं.

राजस्‍थान : एक और छात्र ने किया सुसाइड, कोटा में इस साल अब तक 18 स्‍टूडेंट्स ने दी जान

कोटा:

उत्तर प्रदेश के रामपुर से अपने बेटे मनजोत छाबड़ा का शव लेकर परिजन कोटा से निकले ही थे कि शहर में एक और कोचिंग स्टूडेंट ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. 17 साल का भार्गव मिश्रा 4 महीने पहले ही बिहार के चंपारण से इंजीनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग के लिए आया था और कोटा के महावीर नगर इलाके में पीजी में रह रहा था. वह निजी कोचिंग संस्थान में जेईई की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. 

भार्गव के पिता ने जब बेटे को फोन किया, तो उसने फोन नहीं उठाया. काफी देर तक प्रयास करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं होने पर पिता ने मकान मालिक को सूचना दी. मकान मालिक ने जब कमरे का दरवाजा खटखटाया, तो कोई जवाब नहीं आया. खिड़की से जब देखा, तो भार्गव मिश्रा फंदे पर लटका नजर आया. सूचना मिलने पर महावीर नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची. मौके पर पहुंचे महावीर नगर थाने के पुलिसकर्मी अवधेश कुमार ने बताया कि कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.  चार महीने पहले ही स्टूडेंट बिहार के चंपारण से कोटा आया था, फिलहाल शव को एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है. परिजनों के आने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया करवाई जाएगी. पुलिस आत्महत्या के कारणों की जांच कर रही है. 

आखिर क्यों आंकड़ों में सिमट रहे हैं घरों के चिराग

मेडिकल और इंजीनियरिंग की फैक्ट्री चलाने वाले कोटा शहर में देशभर से स्टूडेंट डॉक्टर और इंजीनियर का सपना लेकर आते हैं. अभिभावकों की उम्मीद का बोझ, अकेलापन, चुनौतीपूर्ण एग्जाम कई बच्चों की उम्मीदों को बीच में ही तोड़ रहा है. इस साल स्टूडेंट्स के सुसाइड के बढ़ते मामलों से कोटा एक बार फिर सुर्खियों में है कि आखिर क्यों मौत को गले लगा रहे हैं घरों के चिराग.  

कोटा में इस साल अब तक 18 स्‍टूडेंट्स ने किया 'सुसाइड'

भार्गव मिश्रा के सुसाइड के बाद इस साल अब तक स्टूडेंट्स सुसाइड का आंकड़ा 18 पर पहुंच गया है, जो पिछले सालों की अपेक्षा डराने वाला हैं. स्टूडेंट्स को तनावमुक्‍त रखने के लिए कोचिंग संस्थानों की ओर से भी मोटिवेशन कार्यक्रम किए जाते हैं. जिला प्रशासन भी अपने स्तर पर कमेटी गठित कर समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा स्टूडेंट की काउंसलिंग करवाता है. वहीं, कोटा पुलिस की ओर से एक डेडीकेटेड स्टूडेंट सेल भी संचालित की जा रही है, जो स्टूडेंट्स के बीच पहुंचकर उनको किसी भी तरह की हेल्प के लिए कॉल करने की अपील करती है. लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद 2 लाख  से अधिक बच्चों की भीड़ में कौन-सा बच्चा डिप्रेशन का शिकार है और आत्मघाती कदम उठाने जा रहा है, उस तक समय पर प्रभावी तरीके से पहुंचकर काउंसलिंग करने में पूर्ण सफलता नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि कोटा में लगातार सुसाइड के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं.