संजय राउत तीन माह के बाद जेल से रिहा, मनी लांड्रिंग मामले में आज ही मिली है बेल

शिवसेना नेता संजय राउत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं. कोर्ट की ओर से उन्हें आज ही जमानत मिली थी.

संजय राउत तीन माह के बाद जेल से रिहा, मनी लांड्रिंग मामले में आज ही मिली है बेल

शिवसेना नेता संजय राउत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए हैं. कोर्ट की ओर से उन्हें आज ही जमानत मिली थी.  ईडी की ओर से 1 अगस्त को गिरफ्तार किए गए संजय राउत को तीन महीने बाद जमानत मिली है. संजय राऊत को 2 लाख के मुचलके पर जमानत दी गई.  ED की तरफ से फैसले पर स्टे की मांग की गयी थी. लेकिन अदालत ने मांग को खारिज कर दिया था.. ED ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए समय मांगा था. जिसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया. अदालत ने एजेंसी को शिवसेना नेता की गिरफ्तारी को लेकर फटकार भी लगायी.

 कोर्ट ने जैसे ही संजय राउत को जमानत का ऐलान किया, उनके समर्थकों ने तालियां बजाईं. कोर्ट ने 21 अक्टूबर को जमानत याचिका पर दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. संजय राउत का जेल से निकलने पर कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया. उम्मीद है कि वो पहले  सिद्धि विनायक मंदिर जाएंगे इसके बाद वो मातोश्री पहुंचेंगे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ईडी ने कोर्ट में दावा किया था कि अब तक संजय राउत को अपराध की कमाई से 3.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. ईडी ने उपनगरीय गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में वित्तीय अनियमितताओं में कथित भूमिका के लिए इस साल राज्य सभा सदस्य संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें कोर्ट की ओर से न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, और अभी वह मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल में हैं. उन्होंने पिछले महीने जमानत मांगी थी, जिसका ईडी ने विरोध किया था.

पात्रा चॉल के नाम से मशहूर सिद्धार्थ नगर उपनगरीय गोरेगांव में 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 किरायेदार परिवार हैं. महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने 2008 में हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए एक पुनर्विकास अनुबंध सौंपा था. जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने और कुछ फ्लैट म्हाडा को देने थे। शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए मुक्त थी.