मणिपुर का वीडियो आत्मा को झकझोर देने वाला, सरकार एक्‍शन के बारे में बताए- CJI डीवाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं की जो तस्वीरें आई हैं, उससे बहुत ही डिस्टर्ब हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीडियो देखकर हम बहुत ही चिंतित हैं. मणिपुर का वीडियो आत्मा को झकझोर देने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस पूरी घटना पर तुरंत संज्ञान लेगी क्योंकि हमें मीडिया रिपोर्ट के आधार पर घटना की जानकारी मिली है. इस वीडियो ने हमारी आत्मा को झकझोर दिया है.

मणिपुर का वीडियो आत्मा को झकझोर देने वाला, सरकार एक्‍शन के बारे में बताए- CJI डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. महिलाओं के परेड वाले वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने घटना को विचलित करने वाला बताया. मणिपुर की घटना पर टिप्पणी करते हुए सीजेआई ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में इस तरह की घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से पूछा है कि इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी कोर्ट को दें.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मणिपुर से महिलाओं की जो तस्वीरें आई हैं, उससे वो बहुत ही डिस्टर्ब हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीडियो देखकर हम बहुत ही चिंतित हैं. मणिपुर का वीडियो आत्मा को झकझोर देने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस पूरी घटना पर तुरंत संज्ञान लेगी क्योंकि हमें मीडिया रिपोर्ट के आधार पर घटना की जानकारी मिली है. इस वीडियो ने हमारी आत्मा को झकझोर दिया है.

उन्होंने आगे टिप्पणी की, ‘एक लोकतांत्रिक देश में इस तरह की घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. महिलाओं के अधिकारों को लेकर इस प्रकार की घटना आत्मा को हिला देने वाली है… ये संविधान के अधिकारों का हनन है.’ सीजेआई ने कहा कि लोकतंत्र में महिलाओं के खिलाफ ऐसी घटना स्वीकार योग्य नहीं है. तत्काल कदम उठाएं सरकारें. सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर राज्य सरकार से इस पूरी घटना की रिपोर्ट तलब की है.

सीजेआई ने आगे कहा, ‘आज के हालात में महिलाओं को उपकरण बनाना स्वीकार्य नहीं है. पुराने समय में जिस तरह महिलाओं को साधन बनाते थे, ऐसा अब नहीं होगा. यह संवैधानिक अधिकारों के हनन का मामला है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए.’ अब इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई को होगी.