यूं ही कोई बृजमोहन नहीं बन जाता ...

यूं ही कोई बृजमोहन नहीं बन जाता ...

संबंधों को निभाना किसी से सीखना है तो बृजमोहन अग्रवाल से सीखिए। यही उनकी खासियत है और यही उनकी सफलता का राज भी। यूं ही नही बृजमोहन अग्रवाल लोगों के दिलों में बसते हैं। क्योंकि रिश्ता निभाने में बृजमोहन जी का कोई मुकाबला ही नही  है।यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज जो वाकया सामने आया वह बेहद भावुकता से भरा था। 

1989-90 में बृजमोहन अग्रवाल सर्वप्रथम विधायक बनकर रायपुर से भोपाल पहुंचे तो उनके सुरक्षा अधिकारी थे राम नारायण मिश्रा जी। तब से रिटायरमेंट तक मिश्रा जी तत्कालीन मंत्री बृजमोहन जी के ही साथ रहे। अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ अलग अलग राज्य बन गया।  भोपाल छोड़कर बृजमोहन जी छत्तीसगढ़ की राजनीति में व्यस्त रहें।
 23 साल बाद अभी आरएन मिश्रा जी ने अपने पौत्र के उपनयन संस्कार में बृजमोहन अग्रवाल जी को आमंत्रित किया था। पर यह सोंचा नही था कि इतनी व्यस्तताओं के बीच वो इतनी दूर उनके गांव आ जायेंगे।

परंतु बृजमोहन अग्रवाल जी संबंधों की महत्ता को समझते हैं। उन्हें सम्मान देना जानते हैं। आज वो मध्य प्रदेश के सीधी जिले के गांव चुरहट के निकट स्थित भीतरी डोंडीटोला पहुंचे और मिश्रा परिवार के शुभ कार्य में शामिल हुए। इस दौरान उनके पुत्र नरेंद्र मिश्रा,शैलेंद्र मिश्रा सहित पूरे मिश्रा परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उनके घर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति के धुरंधर बृजमोहन अग्रवाल संक्षिप्त आमंत्रण में ही पहुंच गए थे।
 यहां भी बृजमोहन जी बेहद सादगी के साथ परिवार के बीच घंटों बैठे रहे और ब्राह्मण परिवार के पूजा संस्कारों को देखते रहे पश्चात सभी बड़ों का उन्होंने आशीर्वाद भी लिया। बटुकों को भी सगुन भेट कर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

राजनीति और सामाजिक जीवन में आप बहुत से लोगों से मिलते होंगे परंतु बृजमोहन अग्रवाल जैसे विरले ही मिलेंगे हैं। स्वार्थ के इस दौर में कौन किसी की परवाह करता है। ऐसे में बृजमोहन अग्रवाल जी का लोगों के साथ संबंध को निभाते हुए आगे बढ़ना प्रेरणा देता है। शायद यही उनकी सफलता का राज भी है।