बिना तलाक के दूसरी शादी करने वाले पति और पत्नी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराने प्रथम पत्नी को है अधिकार महिला आयोग ने चार दिनों में की 84 प्रकरणों पर सुनवाई दो प्रकरणों में पति पत्नी ने शर्तों पर किया समझौता

बिना तलाक के दूसरी शादी करने वाले पति और पत्नी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराने प्रथम पत्नी को है अधिकार  महिला आयोग ने चार दिनों में की 84 प्रकरणों पर सुनवाई  दो प्रकरणों में पति पत्नी ने शर्तों पर किया समझौता

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण श्रीमती अनीता रावटे, सुश्री शशिकांता राठौर एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज चौथे दिन शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। 
      आज सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में पत्नी ने अपने पति के खिलाफ बिना आवेदिका से तलाक लिए दूसरा विवाह किया है। आज की सुनवाई में दूसरी पत्नी और पति के दोनों बड़े भाई भी उपस्थित हुए।दोनो भाइयों ने बताया कि अनावेदक ने गलती किया है और दूसरी शादी किया है और पहली पत्नी को कोई भरण पोषण नही देता है।आवेदिका पारिवारिक मकान में रहती है जहां अनावेदक के पिता और भाई भी निवास करते हैं।इस प्रकरण में सामाजिक बैठक में अनावेदक और पूरे परिवार ने यह तय किया था कि पिता की सम्पत्ति में जो हिस्सा है उसके आधा हिस्सा आवेदिका को दिया जाएगा और पति के सम्पत्ति का हिस्सा दिलाने में दोनो भाई मदद करेंगे इस प्रकरण में अनावेदक और दूसरी पत्नी के खिलाफ 494 भा. द. वि. की धारा दर्ज हो सकती है। आवेदिका जब चाहे तब दोनो के विरुद्ध पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज करा सकेगी।  इस स्तर पर आवेदिका ने अपने भरण पोषण की मांग आयोग के समक्ष किया। जिस पर अनावेदक और दूसरी पत्नी ने स्वीकार किया कि आवेदिका को उनके मकान में रहने के अलावा जीवनयापन के लिए 6 हज़ार रुपये प्रतिमाह बैंक खाता में नियमित रूप से जमा करेंगे। यदि किसी माह में भरण पोषण राशि देने में विलंब अनावेदक द्वारा किया जाता है तो आवेदिका पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकती है।आयोग के इस निर्देश के साथ इस प्रकरण को नस्तीबद्ध कर आयोग द्वारा 6 माह की निगरानी में भी रखा गया है।

इसी तरह दो प्रकरणों में पति पत्नी ने अपनी - अपनी शर्त लिखित में आयोग को प्रस्तुत किया। जिसके आधार पर आयोग में पति-पत्नी के मध्य सम्बन्धो को सुधारने का प्रयास किया गया, आयोग की समझाइश पर साथ रहना स्वीकार किया। दोनो  प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के द्वारा अपने मृत पति जो की एस.ई.सी.एल. कोल माइन्स के मेलवाडीह में कार्यरत था।जिसकी मृत्यु पश्चात् अनुकम्पा नियुक्ति अनुग्रह राशि प्राप्त किये जाने हेतु आवेदन किया था। इस प्रकरण के अंतिम निराकरण हेतु एस.ई.सी.एल. के वरिष्ठ अधिकारी महाप्रबंधक की उपस्थिति सुनिश्चित की जाकर उन्हें प्रकरण में पक्षकार बनाया जाना आवश्यक है। इस निर्देश के साथ आगामी सुनवाई में प्रकरण को रखा गया।एक अन्य प्रकरण में आवेदिकागणों ने अनावेदक के खिलाफ जमीन हड़पने और धोखाधड़ी करने की शिकायत आयोग में प्रस्तुत किया है। अनावेदक अपने जवाब के लिये समय की मांग किया। दोनों पक्षकारों के मध्य आवेदिका के पति के जीवनकाल में हुये समझौतानामा के पिछले भाग में रकम की प्राप्ति में अनावेदक द्वारा बोगस एण्ट्री को लेकर आवेदिकागणों ने आयोग में आवेदन किया है। इस संबंध में दोनों पक्षों को आयोग द्वारा समझाइश दिया गया।जिसमें दोनों पक्ष को अपने समस्त दस्तावेजों का बिन्दुवार उल्लेख करते हुये प्रस्तुत करने कहा गया। जिससे दोनों के मध्य सुलह का रास्ता निकाला जा सकें। जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
महिला आयोग के समक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित इन चार दिनों में 84 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए थे ।