झीरम हत्याकांड में हाईकोर्ट के फैसले पर सियासत, कांग्रेस ने कहा अब दोषियों को मिलेगी सजा, बीजेपी का पलटवार

झीरम हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट ने एनआईए की अपील खारिज कर दी है. इस फैसले के बाद प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने हाईकोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया है.

झीरम हत्याकांड में हाईकोर्ट के फैसले पर सियासत, कांग्रेस ने कहा अब दोषियों को मिलेगी सजा, बीजेपी का पलटवार

बिलासपुर हाइकोर्ट के फैसले के बाद झीरम हत्याकांड का षड्यंत्र सामने आने का मार्ग खुल गया है. ये बातें कांग्रेस की तरफ से की जा रही है. फैसला आने के बाद कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि, राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम का सच सामने लाने तथा दोषियों को सजा दिलवाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. भारतीय जनता पार्टी एसआईटी के गठन के बाद से ही घबरा गई थी, उसने झीरम की जांच रोकने के लिए तमाम षड्यंत्र रचा.

केंद्र सरकार एनआईए से झीरम की फाइल एसआईटी को नहीं देने दे रही थी. उच्च न्यायालय के फैसले के बाद झीरम के पीड़ित परिवारों को भी न्याय की आस जगी है. शुक्ला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की जब तक प्रदेश में सरकार थी. वह झीरम की जांच को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती थी. झीरम की जांच के लिए जो न्यायिक आयोग बना. उसके जांच के दायरे में घटना के पीछे के षड्यंत्र को नहीं शामिल किया गया था.पीड़ित परिवार के लोग सीबीआई जांच चाहते थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह उसमें भी बाधक बन हुए थे. विधानसभा में घोषणा के बाद भी जांच की पहल नहीं की गई.आगे शुक्ला ने कहा कि झीरम की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी की जांच भाजपा और उसकी केंद्र सरकार क्यों रोकना चाहती है? ये बड़ा सवाल है, जिसका जबाब भाजपा से प्रदेश की जनता जानना चाहती है.

कांग्रेस के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मत है कि, झीरम का सच सामने आना चाहिए. क्योंकि झीरम घटना के बाद जिन पर उंगलियां उठी है. वह प्रदेश की जनता बेहतर तरीके से समझती है. कांग्रेस नेता भूपेश बघेल इस बात को कहते थे कि, झीरम का सबूत मेरे जेब में है, लेकिन 3 साल से वह सबूत बाहर नहीं आया. भारतीय जनता पार्टी ईडी, एनआईए, इनकम टैक्स सब पर विश्वास करती है. लेकिन कांग्रेस का चरित्र दूसरा है जहां फायदा होता है. वहां पर विश्वास करते हैं और जहां उनके खिलाफ में आदेश आता है. वह उस पर उंगली उठाने की कोशिश करते हैं. एनआईए ने आपत्ति दर्ज की थी और अगर हाईकोर्ट को लगा कि दूसरी एजेंसी बननी चाहिए और हाईकोर्ट ने अपना फैसला दिया है. तो मुझे लगता है कि आने वाले समय में क्या कदम होंगे. यह एनआईए ही बेहतर तरीके से बता सकती है. लेकिन यह सत्य है कि जितने भी हमारी संवैधानिक संस्थाएं हैं. उस पर विश्वास करना चाहिए उस पर उंगली उठाना नहीं चाहिए और कांग्रेस को अपने चरित्र को बदलना होगा.

बिलासपुर हाइकोर्ट से राष्ट्रीय जांच एजेंसी को तगड़ा झटका लगा है.झीरम घाटी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को खारिज कर दिया गया है.

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. पुलिस में दर्ज इस आपराधिक प्रकरण को NIA ने जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी थी. केस को NIA को सौंपने की मांग भी की थी, लेकिन विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया था.इस फैसले के खिलाफ NIA ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अब हाईकोर्ट से भी एनआईए को झटका लगा है.