अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच छत्तीसगढ़ इकाई स्थापना दिवस ,बसंत काव्य गोष्ठी सम्पन्न

अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच के स्थापना दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ इकाई के तत्वावधान में "बसंत काव्य गोष्ठी "का गरिमामय आयोजन वृंदावन सभागार में किया गया ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी के वरिष्ठ व्यंग्य कार श्री गिरीश पंकज ने अपने उद्बोधन में बसंत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्त्री विमर्श की सार्थकता पर सारगर्भित वक्तव्य देते हुए कहा महिला साहित्यकार भारतीय संस्कृति के साथ लेखन में सक्रियता के साथ एक निकष पर पहुंचे, छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लेखन में परिमार्जन नजर आता है और स्त्री विमर्श दिखाई दे रहा है जो की निश्चित रूप से महिला लेखन को समृद्ध करने की शक्ति रखता है। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ स्नेहलता पाठक सहजता से स्त्री
विमर्श में आधुनिक परिवेश पर अपनी बात रखी।विशेष अतिथि के रूप में श्री राजकुमार धर द्विवेदी जी ने उपस्थित प्रबुद्ध जनों को सम्बोधित करते हुए कहा "संस्था के प्रति समर्पण एक न एक दिन सम्मान का हकदार बनता है।अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई |
सरस्वती वंदना का सुमधुर स्वर प्रस्तुत किया ईरा पंत ने। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री गिरीश पंकज जी का स्वागत मंजुला श्रीवास्तव जी ने कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ स्नेहलता पाठक का स्वागत सुनीता विनय वर्मा ने विशेष अतिथि का स्वागत मंजुषा अग्रवाल ने,निदेशक डा मंजुला श्रीवास्तव का स्वागत अनिता झा द्वारा तथा संस्था अध्यक्ष डॉ मीता अग्रवाल मधुर का स्वागत संस्था निर्देशक मंजुला श्रीवास्तव अनिता झा द्वारा शॉल श्री फल देकर किया गया ।अध्यक्ष डॉ मीता अग्रवाल ने संस्था का परिचय देते हुए कहा-इस संस्था में कार्य करना एक महायज्ञ में आहुति देने के समान है, मंच के सदस्यों के साझा संकलन को इस वर्ष मूर्त रूप देने की बात कही कहा कि वर्ष भर तन-मन-धन से समर्पित संचालक मंडल, जो पटल को सक्रिय बनाए रखते हैं, उनके सम्मान से आज अभिभूत हूँ,
इस अवसर पर सभी पटल संचालक नीलिमा मिश्रा, वृंदा पंचभाई ,रत्ना पांडेय, ईरा पंत ,किरण वैद्य तथा गीता भट्टाचार्य को शाल भेंटकर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन रत्ना पांडेय और ईरा पंत ने किया । वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र रावल जी का बसंत आधारित व्यंग्य पाठ बेहद प्रभावी रहा,इस अवसर पर काव्य पाठ करने वालो में लतिका भाभी ने बसंत रितु राज आया देखो कोयलिया बोले सुप्रिया शर्मा ने नित्य नहीं आशाओं पर दस्तक देती नई श्रीमती कमल डॉक्टर कमल वर्मा खेल गौरा गौरी अरे यह जोगिया सॉन्ग हरी गीता भट्टाचार्य तू जीना सदा अपराजिता बनाकर मदमाती बयार है छाया रंगे मधुमास है। विजय ठाकुर यह स्त्रियां लगती है मुझको कुछ बोल रही सी कुछ शीतलाई सी सुबह शुभा शुक्ला कभी बेटी कभी मन और कभी पत्नी या नारी है जो मुश्किल पल में भी बन जाती है खुद हाल ही बन जाती है सुनीता वर्मा मैं बन जाती हूं कभी तुम्हारे सीता गुजर जाती हूं अग्नि परीक्षा से सीमा निगम भरनी है गर उड़ान पंख खोलने होंगे, ज्योति परमार वंदन अभिनंदन करते हैं नई ,सरोज दुबे कोयल कुके डाल पर मौसम है कुछ खास, फूले उपवन खुश लगे मन में जागे आस, डॉ स्नेहलता पाठक ने जी हां हुजूर मैं बसंत भेजता हूं व्यंग सुन कर सभा को एकदम खुशनुमा और हास्य से भरपूर कर दिया गोपा शर्मा अंगारों से खेल कर चिंगारी से कब डरे, पल्लवी झा बहारों ने पुकारा है क्या पुरवा सुहानी है सिद्धार्थ श्रीवास्तव जी झिलमिल किनारो ने कहा लो फागुनी दिन आ गए, वंदना गोपाल शर्मा आया बसंत मां की यादों को लाया बसंत, नीलिमा मिश्रा ने थ्रैप्टिन बिस्किट वह डिब्बा कभी गुल्लक कभी लाकर बन जाता है अर्चना अनुपम बिन द्वार का राजमहल, दस्तक प्रतिवर्ष, अनोखा राजमहल,किरण वैद्य रंग बिरंगे फूल खिले हैं मादक बहे बयार प्रियतम की पाती मिली लिखकर भेजा प्यार, रत्ना पांडे से बसंत राज तुम आ जाते मैं करती तेरा अभिनंदन, मंजुला श्रीवास्तव, समुंदर हूं कोई मैं दरिया नहीं हूं, हदों में रही हूं फरिश्ता नहीं हूं, मीता अग्रवाल सरे राह बेटी का दामन तार तार लज्जा हरती,रुप धरे चंडी काली का, दुनिया रतब थर-थर डरती
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री राजकुमार धर द्विवेदी ने यह सुनाकर समा बांध दिया कि --
धरती
ओजस्वी वाणी से समां बांध दिया।
आमंत्रित कवियों में श्रीमती शशि दुबे उपस्थित थीं, प्रीति मिश्रा, सुषमा पटेल,रामेश्वर शर्मा डॉ सिद्धार्थ श्रीवास्तव , श्रद्धा पाठक, सुप्रिया शर्मा,मंजु सरावगी,आशा मानव,शालू सूर्या, मधु सक्सेना, डॉ भारती अग्रवाल,शहर के साहित्य रसिक उपस्थित थे।
ध्यातव्य है कि विश्व मैत्री मंच की स्थापना श्रीमती संतोष श्रीवास्तव द्वारा की गयी थी ,कई प्रदेशों में इनकी इकाई साल भर साहित्यिक गतिविधियों का संचालन करती हैं। आभार प्रदर्शन वरिष्ठ सदस्य श्रीमती किरण वैद्य ने किया।