टूूटती संस्कृति छूटते संस्कार

मोना चन्द्राकर मोनालिसा रायपुर छत्तीसगढ़

टूूटती संस्कृति छूटते संस्कार

  आज कल के बच्चे एकल परिवार में रहते हैं इसलिए दादा दादी और नाना नानी का साथ और संस्कार नहीं जानते है । युग बदल रहा है और सबकी जीवन शैली भी बहुत कुछ बदल गई है । आजकल के युवा सिंगल फैमिली में रहना पसंद करते हैं तो उनके बच्चे भी उन्हीं का अनुसरण करते हैं । इस वजह से बच्चों को स्नेह और संस्कार अच्छे से नहीं मिल पाते क्योंकि माता पिता दोनों ही काम करने बाहर जाते हैं । समय नहीं मिलने के कारण बच्चों को घर में अकेला ही छोड़ देते हैं इसीलिए बच्चे अच्छे काम और संस्कार नहीं सीख पाते हैं । और धीरे धीरे गलत आदत और संगत में पड़ जाते हैं ना ही वो बच्चे बड़ों का सम्मान करना जानते हैं और ना ही उनके साथ रहना पसंद करते हैं ।
            हमारी सभ्यता और संस्कृति को नहीं जानते और ना उसे मानते हैं । वजह है आजादी और पश्चिमी देशों के खुलापन को हूं भारतीय तेजी से अपनाते का रहे हैं । भारतीय संस्कृति विश्व में बहुत उच्च स्थान पर है जिसे विदेशी लोग भी मान रहे हैं ।
आज देश में हमारी शिक्षा प्रणाली भी कुछ हद तक जिम्मेदार है । नैतिक मूल्यों की जानकारी एक  विकर्षक से बेहतर और कौन सीखा सकते हैं । पर आज तो शिक्षा भी अब एक व्यवसाय बन गई है ।