रक्षा मंत्री ने की 'अग्निपथ भर्ती योजना' की घोषणा, युवाओं के पास शॉर्ट टर्म के लिए सेना में जाने का मौका
राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कई सालों में रक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सेना को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए अग्निपथ योजना ला रहे है. देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अग्निवीर आएंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज 'अग्निपथ भर्ती योजना' की घोषणा की है और इस दौरान कहा कि युवाओं के पास शॉर्ट टर्म के लिए सेना में जाने का मौका है. राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कई सालों में रक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सेना को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने के लिए अग्निपथ योजना ला रहे है. देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अग्निवीर आएंगे. नौकरी के अवसर बढ़ेंगे. अग्निवीर के अच्छी पे पैकेज की व्यवस्था की गई है. जीडीपी में भी योगदान देंगे. देश को स्किल वाले लोग भी मिलेंगे.
राजनाथ सिंह ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है, कि भारतीय सशस्त्र बल का प्रोफ़ाइल उतना ही यूथफूल हो, जितना कि व्यापक भारतीय जनसंख्या का है. अग्निपथ योजना से रोजगार बढ़ेगा. अग्निवीर सेवा के दौरान अर्जित स्किल एवं अनुभव, उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार प्राप्त करने में मदद करेगा. अग्निवीरों के लिए एक अच्छा पे पैकेज होगा. 4 साल की सेवा के बाद सेवा निधि पैकेज एवं उदारवादी 'मृत्यु और विकलांगता पैकेज'' की भी व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं नौसेना की अग्निवीर में महिलाएं भी शामिल होंगी.
इस योजना से देश के युवाओं को राष्ट्र की सेवा करने का मौका मिलेगा. अभी 32 साल ऐज प्रोफइल रखा गया है, आगे ये 26 हो जाएगा. जो युवा इस योजना के तहत भर्ती होना चाहते हैं, उनका मानसिक और शारिरिक फिट होना जरूरी है. ये योजना कई देशों में स्टडी के बाद लाई जा रही है. इसके जरिए युवाओं को रोजगार मिलेगा और अच्छी वेतन दी जाएगी.
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था कि भारत को भविष्य में युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार रहने की जरूरत है और इसके लिए सशस्त्र बलों और नागरिक प्रशासन के बीच बेहतर तालमेल का आह्वान किया. मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपने संबोधन के दौरान सिंह ने यूक्रेन में जारी युद्ध का भी उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि साइबर और छद्म युद्धों के मद्देनजर सुरक्षा चुनौतियां अब और अधिक जटिल हो गई हैं. उन्होंने कहा कि भारत शांति में विश्वास करता है और ‘‘युद्ध छेड़ना हमारी प्रकृति का हिस्सा नहीं है.''