अन्नदाता पर आफत : केंद्र-राज्य सरकार के विवाद में पिस रहे किसान, पूल में सिर्फ अरवा चावल लेने का केंद्र का निर्णय

अन्नदाता पर आफत : केंद्र-राज्य सरकार के विवाद में पिस रहे किसान, पूल में सिर्फ अरवा चावल लेने का केंद्र का निर्णय

छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकारबनी है, तब से ही कहीं न कहीं केंद्रीय पूल  में लिये जाने वाले चावल को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. इस बार केंद्र सरकार ने केंद्रीय पूल में चावल का कोटा तो जरूर बढ़ाया है, लेकिन कुछ शर्तें भी रख दी हैं. जिसके तहत इस बार केंद्र सरकार सिर्फ अरवा चावल ही लेगी. केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस  ने भाजपा पर हमलाशुरू कर दिया है.

धान खरीदी में केंद्र द्वारा क्या-क्या अड़ंगा लगाने का है आरोप

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  ने 2500 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर धान खरीदने ऐलान किया. इसके बाद केंद्र सरकार ने समर्थन में की गई बढ़ोतरी पर आपत्ति दर्ज करते हुए केंद्रीय पूल में चावल लेने से इनकार कर दिया. फिर राज्य सरकार ने धान समर्थन मूल्य और अंतर की राशि के लिए बोनस देने का भी ऐलान किया. इस बोनस पर भी केंद्र सरकार द्वारा आपत्ति की गई. केंद्र ने बोनस देने के कारण केंद्रीय पूल में चावल लेने से इनकार कर दिया. बाद में राज्य सरकार ने इसका तोड़ निकालते हुए धान का समर्थन मूल्य और 2500 रुपये प्रति क्विंटल में खरीद की घोषणा के बीच के अंतर की राशि को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत देने का निर्णय लिया. इसके बाद से धान का समर्थन मूल्य और 2500 रुपये प्रति क्विंटल के अंतर की राशि सरकार द्वारा किसानों के खाते में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 4 किस्तों में दी जा रही है.
केंद्र ने खड़ा किया नया विवाद

इस बार फिर से केंद्र सरकार ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. केंद्र द्वारा इस बार जहां एक ओर केंद्रीय पूल में चावल के कोटे में बढ़ोतरी की गई है तो वहीं दूसरी ओर एक शर्त भी रख दी गई है. केंद्र ने राज्य से वित्तीय वर्ष 2021-22 में 61.65 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदी की सहमति दी है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार अरवा चावल ही लेगी. जबकि छत्तीसगढ़ में अरवा और उसना दोनों चावल की पैदावार होती है. ऐसे में केंद्र सरकार का यह निर्णय कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है.

केंद्र के निर्णय पर सीएम ने जताई आपत्ति

केंद्र सरकार के इस निर्णय पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि इस मामले को लेकर वे केंद्र सरकार को पत्र भी लिखेंगे. सीएम ने कहा है कि केंद्र छत्तीसगढ़ के साथ दोहरा रवैया अपना रही है. पिछले साल जितनी सहमति दी थी, उतना चावल नहीं लिया. इस साल अरवा चावल की क्वालिटी कंट्रोल के नियम को सख्त कर दिया. बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उसना चावल लेने की मनाही कर दी है, कह रहे हैं अरवा ही लें. ऐसे में उसना चावल का हम क्या करेंगे ? एक तरफ केंद्र सरकार ने ही उसना राइस मिल को बढ़ावा दिया था, उसना राइस मिल लग गई. अब कह रहे हैं चावल नहीं खरीदेंगे. एक तरफ कोटा बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ न खरीदने की बात भी कह रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है.

अपने वादे से मुकरी राज्य सरकार : भाजपा

इधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि राज्य सरकार अपने वादे से मुकर रही है. केंद्र सरकार ने इस साल केंद्रीय पूल में चावल का कोटा बढ़ा दिया है. बावजूद इसके राज्य सरकार किसानों से धान का एक-एक दाना नहीं खरीद रही है. न ही किसानों को धान का समर्थन मूल्य एक साथ दिया जा रहा है. श्रीवास ने कहा कि जब केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय पूल में दिये जाने वाले चावल के कोटे में बढ़ोतरी की है तो राज्य सरकार को आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा भी देना चाहिए. इसके अलावा भी किसानों के हित के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. राज्य सरकार सिर्फ केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ने का काम कर रही है.
कब तक समाप्त होगा चावल विवाद, यह देखना बाकी

छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है. यहां धान प्रचुर मात्रा में होती है. अधिकांश किसान धान की ही खेती के भरोसे सालों भर के खर्चे के लिए निर्भर रहते हैं. बहरहाल अब देखने वाली बात है कि राज्य और केंद्र सरकार के बीच उपजा यह चावल विवाद कब तक समाप्त होता है. या दोनों सरकारों के बीच उपजे विवाद के कारण एक बार फिर से किसान पिस कर रह जाएगा.