साभार सद्विप्र समाज सेवा एवं सदगुरु कबीर सेना के संस्थापक सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज की अनमोल कृति रहस्यमय लोक से

प्रदीप नायक प्रदेश अध्यक्ष सदगुरु कबीर सेना छत्तीसगढ़

साभार सद्विप्र समाज सेवा एवं सदगुरु कबीर सेना के संस्थापक सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी महाराज की अनमोल कृति रहस्यमय लोक से

हां स्वामीजी! आपको इस बार भी पुरोथा वर्ग एवं राजनेता वर्ग से विशेष उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। प्रारंभ काल से ही दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । दोनों एक - दूसरे के सुख - सुविधा का ख्याल रखते हैं। एक -  दूसरे के लिए नीति बनाता तो दूसरा उस पर चलने के लिए धार्मिक उपदेश देता | दोनों को जनसाधारण के दुख दर्द, से धर्म से दूर दूर तक संबंध नहीं है | वे हर समय अपनी क्षुधा तृप्त करना चाहते हैं। आपको स्वयं समाज  की संरचना करनी है। समाज के दबे, कूचले अभ्यागत लोग ही इस महान मंदिर की नींव के ईंट बनेंगे। वही मंदिर के चबूतरे भी बनेगे। फिर यह मंदिर अनोखा बनेगा। यहां सभी खुश होंगे। सभी प्रसन्न होंगे। जो आपके साथ होगा । वहां धर्म युद्ध के पक्ष में होगा। जो विपक्ष में रहेगा वही अधर्म के पक्ष में होगा। भयानक संग्राम होगा । लेकिन यह संग्राम पृथ्वी का अनोखा होगा । इसमें रक्त की नदी नहीं बहेगी। घृणा द्वेष की अग्नि नहीं जलेगी। इसमें भ्रातृत्व का, स्नेह का प्रेम की नदी प्रवाहित होगी। जिसमें घृणा - द्वेष स्वतः बह जाएंगे।


          हम लोगों का आशीर्वाद है --- स्वामी जी यह आश्रम एक दिन ` विश्व आश्रम ' बन जाएगा। विश्व भार की विभूतियां अतृप्त मन से आएंगी तथा तृप्त होकर वापस लौटेंगी । प्रारंभ काल में कुछ कठिनाइयां आती है। जिसमें संघर्ष करना ही श्रेयकर है। संघर्ष ही जीवन है।  संघर्ष से पलायित होना ही मृत्यु है।
               अभी आप जो दृश्य काशी का देख रहे हैं। इससे विस्तृत और सुंदर काशी अभी भी है। वहां केवल मानस शरीर एवं आत्मशरीर का साधक ही प्रवेश करता है। उस काशी में अभी भी ग्यारल हजार सिद्ध पुरुष साधना में लीन है ।    उन लोगों का अपना आश्रम है। अपनी व्यवस्था इसी तरह इस पार भी हम लोगों का आश्रम है । उस काशी का भरण - पोषण क्षेत्र का भरण-पोषण मां पार्वती और मां गंगा दोनों करती है। इस जगह को ठीक से देखो मां गंगा तीन तरफ से इसे  घेर रखी हैं। इस क्षेत्र को अपने अंक में अपने छोटे पुत्र की तरह लाई हैं। काशी मां गंगा के पीठ पर है। मैं गोद में हूं। प्यारा पुत्र मां के गोद में ही रहता है।


            मां पार्वती के इधर आने से इनका पुत्र गणेश और पुत्र वधुएं रिद्धि - सिद्धि पौत्र  शुभ - लाभ भी यहीं आकर रहने लगे। मां यहां अपने पुत्रों के भरण-पोषण करती है। मां की सेवा पुत्रवधूएं एवं पौत्र करते हैं। इस तरह यह क्षेत्र अत्यंत पावन है। एक दिन ऐसा आएगा कि लोग यहां कल्पवास करेंगे। कल्प वासियों की सेवा स्वयं दोनों माताएं करेंगी। वे किसी न किसी रूप में सब की सेवा करेंगी। यह सब आपके यहां आने के पश्चात् पूर्ण होगा । हम लोगों के सामने भूत, वर्तमान,भविष्य चलचित्र की तरह घूम रहा है।

यहां के बालूका राशि पर अर्द्धरात्रि के समय बहुत सिद्ध बैठे मिलेंगे। सभी अपने अपने इष्ट के ध्यान में रहते हैं। भगवान शिव भी अर्द्ध निशा यहीं आकर विराजते हैं। उनकी भी लाचारी है। उनकी पत्नी, पुत्र - पुत्रवधू , पौत्र सभी यही निवास करते हैं। अतएव यह क्षेत्र हर दृष्टि कोण से उत्तम है। आपके यहां आने से यहां की पवित्रता अक्षुण्य रहेगी। अब मैं आपको कोटीशः बार नमन.करता हूं। कोटि शत बार धन्यवाद देता हूं। आशीर्वाद देता हूं। आप अपने लक्ष्य की तरफ अग्र गति करें। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। भगवान परशुराम भी कुछ कहना चाहते हैं। इनका भी आशीर्वाद ग्रहण करें।

क्रमश....