"बयानों से काम नहीं चलेगा" : रुपये में रिकॉर्ड गिरावट के बीच मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र और वित्‍त मंत्री पर कसा तंज

खड़गे ने अपने ट्वीट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अब बयानों से काम नहीं चलने वाला

"बयानों से काम नहीं चलेगा" : रुपये में रिकॉर्ड गिरावट के बीच मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र और वित्‍त मंत्री पर कसा तंज

वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के लगातार गिरने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. बुधवार को ही कांग्रेस पार्टी के नए अध्‍यक्ष निर्वाचित हुए खड़गे ने ट्वीट कर लिखा, "डॉलर के मुकाबले फिर रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, 83 पार पहुंचा. गिरता रुपया हमारी इकॉनमी के लिये काफी खतरनाक साबित हो सकता हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि रुपया कमज़ोर नहीं हो रहा, डॉलर मज़बूत हो रहा है. सिर्फ बयानों से काम नहीं चलेगा, केंद्र सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे."

खड़गे ने अपने ट्वीट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अब बयानों से काम नहीं चलने वाला. गौरतलब है कि वित्‍त मंत्री ने 16 अक्टूबर को कहा था कि रुपये ने अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है. मंत्री की यह टिप्पणी रुपये के 82.69 के स्तर तक गिरने के कुछ दिनों बाद आई थी. भारतीय मुद्रा की गिरावट के बारे में बात करते हुए सीतारमण ने कहा था कि यह डॉलर के मजबूत होने के कारण हुआ है. उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है.वित्त मंत्री ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान एक प्रेस वार्ता में कहा, "मैं इसे रुपये में गिरावट के तौर पर नहीं देखूंगी बल्कि इसे डॉलर के लगातार मजबूत होने के रूप में देखूंगी."

बता दें, भारतीय रुपया इस समय लगातार रसातल की ओर से जा रहा है. गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 83.08 पर पहुंच गया, जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है. बुधवार को ही यह 82 रुपये 95 पैसे के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था. जिस दिन PM नरेंद्र मोदी ने पहली बार शपथग्रहण की थी, उस दिन यानी 26 मई, 2014 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आर्काइव के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया 58.58 के स्तर पर बंद हुआ था, और आज यानी 20 अक्टूबर, 2022 को कारोबार के दौरान रुपया 83.12 के स्तर तक पहुंच गया, जो 41.89 फीसदी ज़्यादा है. पिछले आठ साल में रुपये में आई यह गिरावट ऐतिहासिक है, और यह मोदी काल में लगभग 42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83 रुपये का स्तर पार कर चुका है.