अब अन्य वर्ग को भी अपनी जमीन बेच सकेंगे आदिवासी, हाईकोर्ट ने दी अनुमति...
ओडिशा हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आदिवासियों की शहरी क्षेत्रों में स्थित गैर-खेती योग्य जमीन की बिक्री के लिए अन्य वर्गों के लोगों को अनुमति दी है। यह फैसला छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों के संदर्भ में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जहां आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा निवास करता है।
इस फैसले के अनुसार, अगर कोई आदिवासी व्यक्ति शहरी क्षेत्र में रहता है और उसकी जमीन अब कृषि के योग्य नहीं है, तो वह अपनी जमीन किसी भी वर्ग के व्यक्ति को बेच सकता है। हालांकि, इसके लिए तहसीलदार की रिपोर्ट अनिवार्य होगी, जिसमें जमीन की वर्तमान स्थिति और उसके उपयोग का ब्यौरा दिया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि:
इस मामले में याचिकाकर्ता हेमंत नायक और 60 अन्य लोगों ने ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता एसटी श्रेणी से संबंधित थे और अपनी घरबाड़ी जमीन को एक जनरल कैटेगरी के खरीदार को बेचना चाहते थे। लेकिन सब-रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री करने से इंकार कर दिया क्योंकि राजस्व प्राधिकरण की अनुमति नहीं थी।
कोर्ट का निर्देश:
ओडिशा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति बीपी राउतराय की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम 1960 की धारा 22, जो आदिवासी भूमि की बिक्री पर प्रतिबंध लगाती है, उन मामलों में लागू नहीं होगी जहां जमीन शहरी क्षेत्र में स्थित है और अब खेती योग्य नहीं है।
कोर्ट ने तहसीलदार को निर्देश दिया है कि वे 60 दिनों के भीतर जमीन की उपयोगिता के संदर्भ में अपनी राय दें, ताकि जमीन की बिक्री प्रक्रिया आगे बढ़ सके। यह निर्णय आने वाले समय में आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।