आयोग के निर्देश पर ग्राम बकली में जाकर डीएसपी और संरक्षण अधिकारी करेंगी बहिष्कृत परिवार को समाज में सम्मिलित राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने की प्राप्त प्रकरणों की गम्भीरता से सुनवाई
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक (केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) एवं सदस्य डॉ. अनिता रावटे के द्वारा आज जिला मुख्यालय में कुल 27 प्रकरणों की सुनवाई की गई, जिनमें सामाजिक बहिष्कार, मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना, उत्पीड़न, कार्यस्थल पर उत्पीड़न, सम्पत्ति विवाद, तलाक जैसे विभिन्न प्रकरण शामिल थे। इस दौरान उन्होंने आवेदक एवं अनावेदक (उभय पक्ष) के लोगों से बारी-बारी से सुनवाई करते हुए प्रकरणों के पटाक्षेप की दिशा में प्रयास किए, साथ ही आवश्यक समझाइश देते हुए कानून के विभिन्न पहलुओं के बारे में बारीकियों की जानकारी भी दी। आयोग को प्राप्त 27 प्रकरणों में से 11 मामलों में दोनों पक्ष उपस्थित थे, जबकि 9 प्रकरणों में एक पक्ष के आवेदक हाजिर थे और शेष 07 मामलों में कोई भी पक्ष की सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं थे। आज की कार्रवाई में 10 प्रकरण नस्तीबद्ध हुए।
कलेक्टोरेट के सभाकक्ष में आज दोपहर से हुई सुनवाई में आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक और सदस्य डॉ.रावटे ने सभी प्रकरणों को तत्संबंध में आवश्यक कार्रवाई के निर्देश संबंधितों को दिए। सुनवाई के दौरान ग्राम बकली में दो आवेदिका महिलाओं को परिवार सहित सामाजिक बहिष्कार साहू समाज द्वारा किया गया है, जिस पर आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार किया जाना कानूनी तौर पर अवैधानिक और दण्डात्मक है। उन्होंने उपस्थित लोगों को सूचित करते हुए बताया कि सामाजिक बहिष्कार के मामलों में भारतीय जन संहिता की धारा 384, नागरिक संरक्षण अधिनियम की 1956 धारा 07 के तहत् आपराधिक मामला दर्ज कराया जाए और इस संबंध में की गई कार्रवाई से आयोग को 15 दिन के अंदर अवगत कराए। आयोग की अध्यक्ष और सदस्य ने समाज प्रमुखों को समझाइश देते हुए कहा कि समाजों को ऐसे प्रतिबंधात्मक कृत्यों से बचना चाहिए। आयोग की अध्यक्ष ने सामाजिक बहिष्कार झेल रहे परिवार को समाज प्रमुखों और सदस्यों द्वारा दिनांक 26 मार्च को ग्राम पंचायत बकली में ग्रामवासियों की बैठक लेकर बहिष्कृत परिवार को समाज मे सम्मिलित करने डीएसपी और संरक्षण अधिकारी के समक्ष घोषणा करेंगे, समाज प्रमुखों द्वारा निर्देशों के उल्लंघन करने पर डीएसपी और संरक्षण अधिकारी समाज प्रमुखों के विरुद्ध आयोग के निर्देश पर एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही करा सकेंगे।
एक अन्य प्रकरण मे आवेदिका ने शिकायत किया था कि मातृत्व अवकाश के समय विभागीय अधिकारियोे के द्वारा अनावश्यक कार्यवाही किये जाने से आवेदिका को मानसिक पीड़ा हुई। आयोग द्वारा अनावेदक पक्ष से पूछा गया उन्होंने ने बताया कि परिवाद समिति का गठन हुआ था। उन्होनें शिकायत को निराधार पाया था। इस मामले में कार्यस्थल पर प्रताड़ना अधिनियम 2013 के प्रावधान बिलकुल ही भिन्न है और यह मामला छोटे बच्चों की मां के लिए बच्चें की जन्म के बाद वास्तव मे परेशान करने वाला है इसको देखते हुए अनावेदक पक्ष को समझाईश दिया गया और उन्होनें आवेदिका के परेशानियों की गतिविधियों के व्यक्त किया है। अनावेदक पक्ष को समझाईश दिया गया कि इस तरह भविष्य में इसी पुनरावृत्ति न हो इस तरह प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण मे अनावेदकगण अनुपस्थित, आवेदन मई 2021 में प्रस्तुत किया गया था। उसके पश्चात् दामाद और बेटी के बीच समझौता हो गया है, बेटी 2021 अगस्त से पति/अनावेदक के साथ रह रही है इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष उपस्थित आवेदिका को ऐसा लगता है कि अनावेदिका कलेक्टर की गाईडलाईन से वेतन कम दे रही है अनावेदिका ने शासन की आदेश की कॉपी प्रस्तुत किया गया जिसके कॉपी आवेदिका को दिया गया। इसके आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। अनावेदिका ने निवेदन किया कि आवेदिका इसी मुददे पर बार-बार शिकायत दर्ज न करे।
एक अन्य प्रकरण में एक बुजुर्ग महिला ने आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया था इनका मामला पूर्व में न्यायालय में लंबित होने के कारण आयेाग के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नहीं आता इसीलिए प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। सभी को ये जानकारी दी गई की एक वर्ष के प्रकरण जो न्यायालय मेे नही चल रहे है एवं थाना में पजीबंद्ध नहीं हैै केवल उन्ही प्रकरण आयेाग में सुने जा सकता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदन में अनावेदक के विरूद्ध गाली गलौच करने की शिकायत आवेदिका ने किया है और यह बताया कि जिस समय आवेदिका सरपंच थी उस समय अनावेदक उससे गालीगलौच करता था। अनावेदक का ठेला है जब वहां से निकलती हूं गालीगलौज करता है। आयोग के सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों मध्य प्रतिबंधात्मक कार्यवाही पुलिस द्वारा की जा चुकी है। इस प्रकरण को आगे जारी रखना उचित नहीं होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि सामाजिक स्तर पर दोनों पक्ष बीच राजीनामा हुआ है। अलग अलग रह रहे है। वैधानिक तलाक नहीं हुआ है। उनका पुत्र 07 वर्ष अनावेदक के पास रह रहा है दोनों पक्षों को समझाईस दिया गया कि बच्चें से मिलने के लिए अपसी सहमति में एक दूसरे के परिवार में जाकर बच्चों के आवेदिका से मिलने पर अनावेदक सहयोग करेगा। और धमतरी न्यायालय में आपसी तलाक के लिए केस दर्ज करायेगी इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावदेकगण के खिलाफ शिकायत कि गांव के रहने पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही कर हुक्कापानी बंद कर गांव से निकाल दिया है। अनावेदक पक्ष का कथन है कि आवेदिका जबरदस्ती बेवजह कब्जा कर मकान बना रही थी। उस पर रोक लगाया है। यदि वह किराये कि मकान लेकर रहेगी तो कोई परेशानी नहीं है। हुक्का पानी बंद किया है। आवेदिका को हिदायत दिया जाता है कि किराया के मकान में रहे और अनावेदक मना करते है तो संरक्षण अधिकारी को सूचित करें ताकि अनावेदकगणों पर कार्यवाही की जा सके। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि आवेदिका की शादी दूसरे लड़के से हो चुका है जिसकी पृष्टि दूरभाष पर आवेदिका से चर्चा करने से पुष्टि की गई और इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
इसी प्रकार सुनवाई के दौरान सामाजिक बहिष्कार के तीन, कार्य स्थल पर मानसिक उत्पीड़न के एक सम्पत्ति विवाद का एक, आर्थिक लेन-देन का एक, तलाक का एक, मानसिक प्रताड़ना के सहित विभिन्न प्रकार के प्रकरणों की सुनवाई आज राज्य महिला आयोग के द्वारा की गई। साथ ही 10 प्रकरणों को नस्तीबद्ध कर निराकृत किया गया। इस अवसर पर पुलिस एवं अन्य संबद्ध विभाग के अधिकारी-कर्मचारी और सुनवाई के लिए आए आवेदक, अनावेदक तथा उनके परिजन मौजूद रहे।