रायपुर में 12 हजार से ज्यादा मनरेगा कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा, भूपेश को दी ये चेतावनी

रायपुर में छत्तीसगढ़ सरकार से नाराज मनरेगा कर्मचारियों ने आक्रोशित रैली निकाली. रैली के बाद 12 हजार से ज्यादा मनरेगा कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा रायपुर एसडीएम देवेंद्र पटेल को सौंपा.मनरेगा कर्मचारी महासंघ का कहना है कि विधानसभा चुनावों में सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है.

रायपुर में 12 हजार से ज्यादा मनरेगा कर्मचारियों का सामूहिक इस्तीफा, भूपेश को दी ये चेतावनी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मनरेगा कर्मचारियों ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को नौकरी से निकालने के बाद आक्रोश रैली निकाली. सप्रे स्कूल के पास प्रदर्शन करने के बाद मनरेगा कर्मचारियों ने रायपुर एसडीएम देवेंद्र पटेल को सामूहिक इस्तीफा सौंपा. 12731 मनरेगा कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफे का बंडल एसडीएम को सौंपा और उनकी हड़ताल अनिश्चितकालीन रहने की घोषणा कर दी. 

 मनरेगा कर्मचारियों के इस आक्रोश रैली का समर्थन कर रहे छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा ने कहा कि "शुक्रवार को जिस तरह से मनरेगा आयुक्त ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति कर दी है. उससे सभी मनरेगा कर्मचारियों में आक्रोश है. जिसका विरोध मनरेगा कर्मचारियों ने आक्रोश रैली निकालकर किया है. अगर सरकार इसके बाद भी मनरेगा कर्मचारियों की मांगों पर विचार नहीं करती है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे.

राजधानी के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर मनरेगा कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर 62 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. इनकी 2 सूत्रीय मांगों में चुनावी घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण करना दूसरा नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू करना है.

 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत पूरे प्रदेश में मनरेगा कर्मचारियों की संख्या लगभग 15 हजार के आसपास है. जो जिला जनपद और ग्राम पंचायत में मनरेगा के कार्यों का निर्वहन करते हैं. मनरेगा कर्मचारी पिछले 16 सालों से संविदा और मानदेय के अस्थाई पदों पर कार्यरत है. अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर मनरेगा कर्मचारी 4 अप्रैल 2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. मनरेगा कर्मचारियों का कहना है कि "छत्तीसगढ़ में पहले अस्थाई पदों पर अथवा संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित किया गया है. जैसे दैनिक वेतन भोगी, शिक्षाकर्मी और परिवहन विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किया गया है, उसी तरह मनरेगा कर्मचारियों को भी नियमित किया जाए".

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मनरेगा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मनरेगा कर्मचारी पिछले 62 दिनों से अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. जिसके कारण जिला, जनपद और ग्राम पंचायत स्तर के सभी तरह के काम प्रभावित हो गए हैं. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने साल 2018 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में मनरेगा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था. लेकिन साढ़े 3 साल बीतने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ. जिसके विरोध में पिछले 62 दिनों से मनरेगा कर्मचारी हड़ताल पर है. मनरेगा आयुक्त की तरफ से शुक्रवार को 21 एपीओ (सहायक परियोजना अधिकारी) की सेवा समाप्त कर दी गई है. जिसके विरोध में मनरेगा कर्मचारियों ने हजारों की संख्या में इकठ्ठे होकर रायपुर में आक्रोश रैली निकाली और सरकार के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए.

छत्तीसगढ़ में मनरेगा कर्मियों को संविदा भर्ती नियम 2012 के तहत सीमा वृद्धि नहीं होने और सेवा समाप्ति होने पर अपील करने का कोई प्रावधान नहीं है. इस प्रकार के आदेश का उपयोग करते हुए छत्तीसगढ़ में 3000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है. पिछले 15 सालों में 20% मनरेगा कर्मचारियों की छटनी भी कर दी गई है.