अधर्म पर धर्म की जीत

Premdeep

अधर्म  पर धर्म की जीत

धर्म अधर्म की बात चली,
अधर्म स्वयं हम साथ,
किसको मारे किसको जलाएं
विचारे पहले हम आप ।

बुराई पर अच्छाई की जीत पुतले जलाने से नहीं होगा ।
हमारे अंदर जो जड़ में बैठा,
दशानन से भी महा पापी
जिसे स्वयं हमने मुखौटा से ढक दिया है

, इसे अपने संकल्पों से भीतर जलाकर,

विजय का दीप अपने मन में जलाना होगा।
रावण का पुतला जलाने से अगर अधर्म का नाश होता तो

आज विकराल रूप अधर्म  का देखने को नहीं मिलता ।

दया प्रेम और न्याय से राम जो रस अनुराग ।
मन वचन और कर्म के पथ हरि सोई मिल हरि हो जाए ।।

विजयदशमी की अनंत शुभकामनाएं