चांद की रात

Premdeep

चांद की रात

ये रात है कातिल बड़ी...
जिधर देखो उधर चांद...
आसमां को तकती..
जमीं पर कुछ पल की...
इंतजार में बैठी तुम्हारी...
ये चांद ओ चांद...
तुम्हारी शबाब पर आज मरना नहीं,
जिंदा रहना है,मुझे देखने को ये चांद...
हुस्न पर बिखरा है चांदनी की शोखी...
पी लेने को छलकती आंखों से जाम...
हैं रात है कातिल बड़ी...
चांद ये रात बस तेरे नाम...!!