7 जुलाई को गायत्री नगर, रायपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी भव्य शोभायात्रा

7 जुलाई को गायत्री नगर, रायपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी भव्य शोभायात्रा


रायपुर ।

पूरे देश में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन 7 जुलाई को होगा।ओड़िशा और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों से मिलने के लिए मंदिर से बाहर निकलते हैं। रायपुर में भी इस दौरान भव्य आयोजन किया जाता है। जिसमें छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल विश्वभूषण हरिश्चंदन , राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, सहित प्रदेश एवं अन्य प्रदेश से जनप्रतिनिधिगण भगवान जगन्नाथ जी का दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते है। 
कार्यक्रम की रूपरेखा

कार्यक्रम की शुरुआत 7 जुलाई रविवार को सुबह 7 बजे से होगी जिसमें सुबह 7 बजे से 10 बजे तक विशेष पूजा अर्चना, अभिषेक एवं हवन होगा। उसके बाद 11 बजे अतिथियों का आगमन और उनका स्वागत किया जाएगा, 11:15 से 11:20 तक उपस्थित अतिथियों द्वारा हवनकुंड में प्रवेश पूजा एवं पूर्ण आहुति होगी।
11:30 से महामहिम राज्यपाल महोदय एवं मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आगमन होगा जिसके बाद महामहिम और मुख्यमंत्री द्वारा छेरा पहरा कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। जिसके पश्चात श्री जगन्नाथ जी, बलभद्र जी एवं सुभद्रा जी के रथारोहण उपरांत अतिथियों द्वारा आरती। 3 बजे से 5 बजे के बीच रथयात्रा गायत्री नगर से प्रारम्भ हो कर बी.टी.आई. मैदान शंकर नगर होते हुए शंकर नगर पुलिस चौकी के सामने श्री जगन्नाथ चौक में विश्राम एवं गायत्री नगर मंदिर प्रांगण में वापसी (भक्तजनों के दर्शनार्थ) उसके बाद भगवान जगन्नाथजी मंदिर से पुनः अपने मौसी घर के लिए प्रस्थान करेंगे।

भक्तों को दर्शन देने आएंगे भगवान :
मंदिर के संस्थापक के मुताबिक पूरे ब्रह्मांड में एक जगन्नाथ भगवान ही ऐसे भगवान है. जो वर्ष में एक बार बाहर आकर अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. प्रसाद के रूप में अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पूरे देश में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में ही जगन्नाथ जी बलभद्र जी और सुभद्रा जी के लिए तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं. इसके बाद यह गौरव छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को प्राप्त है.
''छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसे लाखों लोग हैं जो किसी कारणवश पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाले रथयात्रा के दर्शन नहीं कर पाए हैं. ऐसे भक्तजनों के लिए रथ यात्रा एक स्वर्णिम अवसर रहता है. जब भक्त और भगवान के बीच की दूरियां कम हो जाती है।