गरियाबंद में 8 लाख की इनामी महिला नक्सली ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों का असर लगातार दिख रहा है। पुलिस दबाव और आत्मसमर्पण कर चुके साथियों की बेहतर जिंदगी देखकर नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं। इसी क्रम में 8 लाख की इनामी महिला नक्सली जानसी ने गरियाबंद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस के अनुसार, जानसी मूल रूप से महाराष्ट्र की रहने वाली है। उसने बताया कि आत्मसमर्पण कर चुके साथियों को खुशहाल जीवन जीते देख उसने भी हिंसा का रास्ता छोड़ने का निर्णय लिया।
17 साल का नक्सल सफर
जानसी का माओवादी संगठन से जुड़ाव करीब 17 साल पुराना है।
2005: जनमिलिशिया सदस्य के रूप में शुरुआत
2006: माओवादी कमांडर रनिता ने भर्ती किया
2007: गार्ड के रूप में काम
2008–2011: प्रेस संबंधी जिम्मेदारी
2014–2022: नगरी एरिया कमेटी में कमांडर
2022 से अब तक: नगरी एरिया कमेटी की सचिव
संगठन की हकीकत बताई
आत्मसमर्पण के दौरान जानसी ने खुलासा किया कि माओवादी संगठन अब निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, विकास कार्यों में बाधा, ठेकेदारों से अवैध वसूली और युवाओं की जबरन भर्ती का अड्डा बन चुका है। बड़े कैडर छोटे कार्यकर्ताओं का शोषण करते हैं और ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ भड़काते हैं।
जानसी ने 2011 में डीव्हीसीएम सत्यम गावड़े से शादी की थी। लेकिन उनके मुठभेड़ में मारे जाने के बाद वह मानसिक रूप से टूट गईं। कठिन जंगल जीवन और समर्पण कर चुके साथियों के अनुभव से प्रेरित होकर उन्होंने नया जीवन शुरू करने का फैसला किया।
आत्मसमर्पण नीति से मिली राह
जानसी ने बताया कि समाचार पत्रों और पुलिस द्वारा लगाए गए पोस्टरों से उन्हें सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति की जानकारी मिली। आयतु, संजय और मल्लेश जैसे कई नक्सली साथी पहले ही इसका लाभ उठा चुके हैं। अब वह भी सुकमा पुलिस की मदद से अपने परिवार के साथ सम्मानजनक और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहती हैं।