विधायक यू.डी. मिंज ने किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ने खुद की 6 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती शुरू की
संसदीय सचिव यू. डी. मिंज अपने खेतोँ में लगाए टमाटर, बैगन और मिर्च की ग्राफ्टेड पौधे
जशपुर :-
छत्तीसगढ़ जहां में किसानों ख्याल रखने वाली और उनकी मदद करने वाली सरकार है, किसानों के लिए कई प्रकार की योजना लाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में लगी है वहीँ छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव यू. डी. मिंज की सोंच भी किसानों को मजबूत बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की है लगतार संसदीय सचिव यू. डी. मिंज किसानों को बहुफसली आधुनिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे है, प्रशिक्षण दिलवा रहे है और उनका सहयोग कर रहे है उनका शुरू से ही सोंच है कि जशपुर जिले को एग्रीकल्चर टुरिज्म के रूप में आगे बढे
कुछ दो माह पूर्व उनके द्वारा अपने निवास ग्राम जोकारी में जिसे सब आश्रय के रूप में जानते है वहाँ लगभग 6 एकड़ जगह में टमाटर, मिर्च और बैगन की ग्राफ्टेड पौधे लगाय जिसका 60-70 दिनों के अंदर उत्पादन शुरू हो गया है संसदीय सचिव का उद्देश्य उनके क्षेत्र के किसानों को यह दिखाना था कि ग्राफ्टेड पौधे से कम जगह में ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है जिससे आमदनी अच्छी हो सकती है, वर्तमान समय में पारम्परिक विधि से खेती में किसानों की बस लागत ही मिल पर रही है और समय भी अधिक लग रहा है मुनाफा भी कम हो रहा है इसलिए आधुनिक खेती जरुरी हैं
संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने बताया कि वर्तमान में कुनकुरी, फरसाबाहर और दुलदुला तीनों में 61 बाड़ी के लिए किसानों को तैयार किया गया है, जो आधुनिक खेती, ग्राफ्टेड पौधे ड्रिप विधि से सिंचाई के माध्यम से खेती का स्वरूप बदलने के लिए तैयार है और काम प्रगति पर है. उन्होंने बताया कि मैंने अपने निवास जोकरी में अपनी जमीन में टमाटर लगभग 2 एकड़, बैगन 2 एकड़ मिर्च 2 एकड़ में लगाया है ये सभी ग्राफ्टेड पौधे लगाय गए हैं जिसमें दो महीने में ही उत्पादन शुरू हो गया. इससे समय की बचत होगी, सिंचाई में पानी कम लगेगा और उत्पादन अधिक होगा तो निःसंदेह आमदनी भी अधिक होगी.
उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य मात्र क्षेत्र के किसानों को आधुनिक खेती से जोड़ कर उन्हें समृद्ध बनाकर क़ृषि को नई दिशा देनी है, मेरी सोंच हैं जशपुर जिला एग्रो टुरिज्म के रूप में अपनी पहचान बनाय,उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जैविक खेती की दिशा में बढ़ रहा हैं धीरे धीरे हमारे किसान अब पारम्परिक खेती को छोड़ कर आधुनिक खेती की दिशा में बढ़ रहे हैं मेरी सभी किसानों से आग्रह है कि एक बार जरूर आश्रय जोकरी आ कर ग्राफ्टेड खेती को देखें, सीखें और करने की दिशा में आगे बढ़ें निश्चित रूप से यह किसानों के भाग्य बदलने वाला साबित होगा.
क्या होती है ग्राफ्टिंग विधि
साधारण पौधे उथले जड़ वाले होते हैं, लेकिन ग्राफ्टिंग विधि से इनकी जड़ें गहरी होती है। इसके लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। बैगन का पौधा कीटों और रोगों के लिए अति संवेदनशील होता है। इसलिए इस विधि को अपनाया जाता है।विदेशों में अधिकतर ग्राफ्टिंग विधि से ही अधिकांश सब्जियाें के फसल का उत्पादन होता है। ग्राफ्टिंग तकनीकि वह विधि है जिसमें दो अलग-अलग पौधों के कटे हुए तनों को लेते हैं। इसमें एक जड़ सहित और दूसरा बिना जड़ वाला होता है। दोनों को इस तरह से एक साथ लाया जाता है कि दोनों तने संयुक्त हो जाते हैं और एक ही पौधे के रूप में विकसित होते हैं।