5 साल में 15 लाख लोगों को रोजगार का झांसा, बेरोजगारों के साथ क्रूर मजाकः बृजमोहन
भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार की छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन गठित करने की घोषणा को युवाओं के साथ छलावा और छद्म कमेटी घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि पाँच साल में पन्द्रह लाख लोगों को रोजगार देने का झांसा बेरोजगारों के साथ क्रूर मजाक है। जो सरकार अपने घोषणापत्र के वायदे के अनुसार पच्चीस सौ रुपए बेरोजगारी भत्ता नहीं दे सकती है वह रोजगार क्या देगी। सरकार पहले ढाई हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दे, उसके बाद ही कोई बात करे।
श्री अग्रवाल ने कहा कि यह सरकार पांच साल में पन्द्रह लाख रोजगार देने का दावा कर रही है, पर वास्तव में दो साल बाद तो इनकी सरकार जा रही है, फिर ऐसे किसी दावे का क्या औचित्य है। पिछले तीन साल में तो सरकार ने कुछ नहीं किया, बल्कि पुरानी सरकार की नियुक्तियों को लटका कर रखा है। प्रदेश में एक लाख नौजवानों की परीक्षाएं हो कर नियुक्तिपत्र मिल चुके हैं। उन्हें भी यह सरकार नौकरी नहीं दे पा रही है। ऐसे में पाँच साल में पन्द्रह लाख लोगों को रोजगार का सब्जबाग दिखाना एक छलावे से कम नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार के पाँच लाख रोजगार देने के समर्थन में जो आंकड़े दिए गए हैं - उनमें पाँच हजार से ज्यादा नौकरियाँ नहीं दिखती है। जब हम श्वेतपत्र की माँग कर रहे हैं, तो वह क्यों नहीं दिया जा रहा है। महिला स्वसहायता समूहों के बीस हजार लोगों का काम छीनने वाली सरकार कैसे रोजगार दे रही है, समझ से परे है। राजधानी का धरनास्थल आंदोलनकारियों से भरा पड़ा है। कोरोनाकाल में मेडिकल की सुविधा देने वालों को कोरोना महामारी कम होने के तत्काल बाद हटा दिया गया। अगर लोगों का नियमितीकरण हो चुका है तो फिर पूरे प्रदेश के नौजवान सड़क पर क्यों उतरे हुए हैं?
श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार के द्वारा मिशन में शामिल विभाग से ही समझ में आ रहा है कि सरकार की क्या मंशा है। उन्होंने कहा कि रोजगार का अर्थ कम से कम महीने में पच्चीस दिनों का स्थाई रोजगार होता है, तो सरकार को बताना चाहिए कि गोधन योजना, मिलेट (मोटा अनाज) योजना, हस्तशिल्प निर्माण, टी-काफी बोर्ड से कोई कैसे स्थाई रोजगार पा सकता है। फिर प्रदेश के किसान यह काम पहले से ही कर रहे हैं तो उसमें नया क्या है?
श्री अग्रवाल ने कहा कि यह सरकार सिर्फ बड़ी-बड़ी घोषणा करके युवाओं को बहलाना चाह रही है इनसे कुछ न हो पाएगा। इन्हें सबसे पहले अपने चुनावी घोषणा के अनुसार ढाई हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए। प्रदेश के युवा अब समझ चुके हैं। वे इस सरकार के झांसे में अब नहीं आएंगे।