पहली पत्नी रहते दूसरा विवाह अवैधानिक, पति के खिलाफ हो सकती है कड़ी कार्यवाही - डॉ नायक
आयोग की समझाइश पर ससुर ,पोती के पढ़ाई के लिए प्रतिमाह 10 हजार रुपये देने हुआ तैयार आयोग के पहल पर सम्पत्ति के 1/10वें भाग की हकदार होगी आवेदिका
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।
आज प्रस्तुत प्रकरण में अनावेदक पति ने आयोग के समक्ष स्वीकार किया कि उसका आवेदिका से तलाक नहीं हुआ है। दूसरी औरत से मंदिर में उसकी माता-पिता की उपस्थिति में हिन्दू रीति रिवाज से शादी किया है। पति ने स्वतः आयोग के समक्ष स्वीकार करते हुये कहा कि तीन वर्ष से दूसरी औरत से अवैध संबंध होने के कारण सामाजिक अपमान को समाप्त करने के लिये उससे दूसरा विवाह किया हूं। अनावेदक पति एलआईसी ऑफिस में ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत है तथा मासिक वेतन लगभग 1 लाख 50 हजार रूपये है।पति ने बताया कि वेतन से आवेदिका पत्नी को जीवन-यापन एवं आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति कर रहा हूं। पति-पत्नी के दो बालिग बच्चे हैं पुत्र 18 वर्ष एवं पुत्री 21 वर्ष है। बच्चों की शिक्षा एवं अन्य जिम्मेदारियां आवेदिका पत्नी पर आ गई है। वर्तमान में आवेदिका 20 दिनों से अपने मायके में निवास कर रही है। आवेदिका का कथन है कि तीन वर्षों से पति एवं दूसरी औरत के द्वारा मुझे एवं मेरे बच्चों को फोन पर धमकी देकर प्रताड़ित करते रहते है। आज की सुनवाई में अनावेदिका दूसरी औरत अनुपस्थित है ऐसी दशा में यह प्रकरण आगामी सुनवाई में रखा गया।साथ ही आयोग द्वारा दूसरी औरत को आगामी सुनवाई में साथ में लेकर उपस्थित होने अनावेदक पति को निर्देशित किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिये ससुर के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी।इस प्रकरण में अनावेदक ससुर सेवानिवृत्त कर्मचारी है।आयोग की समझाइश पर अनावेदक ससुर ने आवेदिका को उसकी बेटी की पढ़ाई के लिये एक माह की पेंशन राशि 10 हजार रूपये देना स्वीकार किया। इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह सम्पत्ति विवाद के प्रकरण में आवेदिका ने अपने देवरों के खिलाफ सम्पत्ति के बंटवारे को लेकर आयोग में शिकायत की थी। आवेदिका के पति 7 भाई व 3 बहन है। परदादा की सम्पत्ति में 2700 वर्ग फीट आवेदिका के एक हिस्से में आया था। जिसे अनावेदकगणों ने भी स्वीकार किया। वर्तमान में उक्त सम्पत्ति परदादा के नाम पर है जिनकी मृत्यु सन् 1956 में हो गई है।इसके साथ ही आवेदिका के ससुर की मृत्यु सन् 1973 में एवं आवेदिका के पति की मृत्यु सन् 1997 में हो गई है। लगभग 66 वर्षों के बाद भी नगर निगम रायपुर के अभिलेख में मृतक परदादा का नाम ही दर्ज है।जिसे उभय पक्षों ने स्वीकार किया। दोनों की स्वीकारोति के पश्चात यह स्पष्ट है कि 2700 वर्ग फीट के मकान में कुल 10 हिस्सेदार ही वैधानिक हिस्सेदार होंगे। इस आधार पर यदि सभी पक्षकार आपसी सुलह से उक्त जमीन पर नामांतरण करने के बाद जमीन को बेचना चाहे तो आवेदिका उस मकान में 1/10 वां भाग की हकदार होगी। आयोग ने दोनों पक्षों को निर्देशित किया कि नगर निगम रायपुर में जाकर अपनी सम्पत्ति का नामांतरण हेतु आवेदन प्रस्तुत कर आपसी समझौता करने की समझाईश देते हुये इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
आज जनसुनवाई में 20 प्रकरण रखे गए थे जिसमें 2 प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।