हरेली

डॉ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़

हरेली

आए सावन मा अमावस, हे हरेली आज जी । 
पूज राप खेत गैती,धोय लेऔजार
 जी । 
आज राँधें खीर चीला, खाए सब परसाद जी। 
लीमा ड़ारा खोंच देथे, ड़ार हरियर आज जी। 

मानथें पहिली तिहारे, झूम नाचे जोस मा। 
बाँस फाड़े बाँध खपची, बाँध गेड़ी गोड़ मा। 
गाँव घूमें लोग लइका, मानथें ब्योहार जी। 
रीति माने गाँव भर मा, आय हे त्यौहार जी। 

खेत बाढ़य धान बाढ़य, आस मन मा जागथे। 
ओढ़ हरियर रंग लुगरा, धान पाना झूम थे। 
देख गेड़ी खेल खेलन,कोन कइसे हारही देख लेथन कौन संगी, आज बाजी मारही।