हाथ पकड़ ले चल

-premdeep

हाथ पकड़ ले चल

हाथ पकड़ ले चल जिधर को
मंजिल है तेरी, मेरी भी उधर को
रोज लौट आई हूं बिन तेरे सपने के शहर को
अकेली खड़ी हूं जन्मों से
राह में आंखें थक गई तेरी एक नजर को