हिंदी से अपना नाता।
डॉ मीता अग्रवाल मधुर
वंश वृक्ष की अमर बेल हिंदी से अपना नाता,
जनगणमन का जय गान भाग्य विधाता।
संस्कार की जननी जाया, इसकी अमर कहानी,
सूर कबीर भारतेन्दु ने, दी थी इसको वाणी,
पार चली जब द्वारे-द्वारे पांँव
पसारे रानी।
युगों युगों से बहती धारा, तिलक गोखले बानी।
सात समंदर पार चली, संतो ज्ञानी की माता,
वंश वृक्ष की अमर बेल,
हिंदी से अपना नाता।