सुख-दुख अद्भुत है समरसता - डाॅ मीता अग्रवाल मधुर

सुख-दुख अद्भुत है समरसता - डाॅ मीता अग्रवाल मधुर

सुख-दुख अद्भुत है समरसता* 

सुख-दुख अद्भुत है समरसता  
खोना-पाना आतुरता
जीवन है अनमोल धरोहर 
बिखरी पल-पल सुन्दरता।

हर्षित गर्वित पुलकित मनुवा
अवध भूमि में तैयारी 
राम लला मंदिर विराजने 
भव्य नींव पूजन बारी
शुभ दिन पावन मंगल गायन
राम नाम धुन आकुलता।

जीवन मोल विचारे मानव
किन्तु भाग हो परे खड़े 
खण्ड खण्ड प्रस्तर न एक से
एक तराशा एक पड़े 
विधना तेरे लिखे लेख ही
जीव जगत की व्याकुलता।

लोभ मोह से लिपटा मानव
छल छद्मो से झूठ खड़े 
चक्र व्यूह रचकर भरमाते
जीवन से है मौंत लड़े
भूख दीनता जीव तड़पता
एक शाप है निर्धनता।
सुख-दुख ----
 
रचनाकार 
डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़