नारी

डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़

नारी

नारी 

मै नेह सुधा के रस धारा, बोहाथवअमरित धारा ।
लज्जा  करुणा ममता सागर,
गुनगान करय जग सारा।।

सबो विपत ले टकराथव मै,
बनथव रणचंडी काली।
झटकुन विपदा टर जाथे जी
नारी होवय बलशाली।।

बिना बाप के अपन अकेल्ला
पालय पोषय बड भारी।
वन मा छोडिस रामचन्द्र ह 
लव कुश के पालनहारी।।

शक्ति स्वरूपा गढ़े विधाता, 
सृष्टि के सिरजन हारी।
अतका महिमा गुण ला गाथे,
शान हवे भारत नारी।।