निगाहों की बातें
Premdeep
एक मर्तबा देख लो..
पलट कर मेरी राहों को..
जिंदगी खड़ी है मौन तुझ बिन..
लेकर तुम्हारी चाह को.. !!!
शिद्दत भरी है निगाहों में,
समझो इन भीगी पलकों को...
है फासले कुछ कदमों के..
साथ सजाले मेरे सपनों को..!!!
इल्जाम ना दूंगी सर पे तेरे,
दिल मेरा तू रखना संभल के...
अगर जिंदगी हो साथ तेरा..
तो छू लूं उस आसमान को..!!!
मेरे शहर का बन जा शहजादा.
वफा का ताज दूं तेरे को..
चाहत नहीं चांद सितारों की..
एतबार हो जा एतबार को..!!!