छेरछेरा

छेरछेरा

छेरिक छेरा हे परब,अन्न दान के मान।
अपन कमाये धान ले,कोठी भरय किसान।
कोठी भरय किसान,छेरछेरा पुन्नी मानय।
छोट बड़े के भेद,बंधना ला नइ जानय।
सुनो मधुर के गोठ,लोक किंवदंती डेरा।
साक दान जगदंब, परब बड छेरिकछेरा।।

(2)
दानव रूरू नाव के,बढ़गे अइताचार।
देवी डंडा नाचथे,करिन उखर संहार।
करिन उखर संहार,नाच के डंडा  साँचा।
तबले हे शुरुवात,छेरछेरा मा नाचा। 
शिव परीक्षा लीन,बिहा गौरी तब जानव।
बिकट मधुर संवाद,मानथे देवी दानव।।