दीवाना रात

Premdeep

दीवाना रात

चांद रात का आईना है
देख कर जिसे सजता है
काला चादर ओढ़ कर
तारों को दावत करता है
रजनीगंधा बहकती महकती
झींगुर शहनाई करता है
सुहानी हवा की बात न पूछो..
दीवाना रात को हवा देता है...!!