"छत्तीसगढ़ विश्व मैत्री मंच की पावस काव्य गोष्ठी ने बिखरे बरखा रंग,,

"छत्तीसगढ़ विश्व मैत्री मंच की पावस काव्य गोष्ठी ने बिखरे बरखा रंग,,

अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की छत्तीसगढ़ इकाई के तत्वावधान में "पावस काव्य गोष्ठी "का गरिमामय आयोजन संस्था की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव जी की उपस्थिति में आभासी पटल पर (आनलाइन गूगल मीट पर) किया गया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच की निदेशक डॉ श्रीमती  मंजुला हर्ष  श्रीवास्तव जी ने की कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढ़ इकाई की अध्यक्ष डॉ मीता अग्रवाल मधुर  द्वारा किया गया, कार्यक्रम का आरंभ श्रीमती ईरा पंत जी ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना से हुआ।
"शारदे मां तुमको नमन 
गाए तुम्हारे गुण जन गण और मन 
रिमझिम की बूंदों सी तेरी गुनगुन 
सितार के तारों की मधुर धुन "इसके पश्चात नीलिमा मिश्रा जी ने
उमड़ घुमड़ कर बरसों मेघ
धरती की अब प्यास बुझाओ
गीता भट्टाचार्य जी ने 
अब आया सावन का महिना 
कई सौगातें ले आया सावन का महिना 
अनिता झा जी 
झूम झूम कर बरसे बरखा रानी 
वृंदा पंचभाई ने
आसमान में काले बादल 
गरज गरज कर बरस रहे 
बादलों से अमिय रसधार 
तृषित धरा की प्यास बुझाए 
मुंबई से महाराष्ट्र ईकाई की श्रीमती मृदुला गर्ग जी ने कजरी गा कर इस गोष्ठी में चार चांद लगा दिए 
रोपे ले धान रोपनी,खेड़े मसकनिया 
रोपेल धान रोपनी ,
सावन भदौआ में ,बरसेला पनिया 
ओकरे में धान रोपे,नवके दुल्हनियां 
रोपे ले धान रोपनी 
सुनाकर
नीता श्रीवास्तव 
धरती के अधरो की प्यास बुझाती
मेघो के गर्जन की ढोलक बजाती ।
विजया ठाकुर
घूमड-घूमड कर बदरा आई
पिया प्रतीक्षा आवन की
गीत लिखेगा सावन की।
डॉ मीता अग्रवाल जी ने
अपनी छंद बद्ध रचना 
सावन घटा सुहानी,मेघ दल गिरे पानी 
झिमिर-झिमिर बूंदें बड़ा मन भाए
चहुंओर हरियाली,चातक की टेर प्यारी 
ऋषभान की दुलारी, कान्हा को रिझाए है। कर खुब तालियां बटोरी।
अंतराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापक व अध्यक्षा श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी ने- 
ऐसा ही मौसम समाया है मुझमें 
कहां होश रहता जब पड़ती फुहारें 
कुछ तो रही होगी मजबूरी उनकी
जो टूटी है बादल से जमकर फुहारें 
कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती मंजुला हर्ष श्रीवास्तव जी ने सबकी रचनाओं पर अपनी सार्थक टिप्पणी देकर गोष्ठी को सफल बनाया 
गोष्ठी में डाॅ मंजुला हर्ष,ईरा पंत, श्रीमती वृंदा पंचभाई,विजिया ठाकुर, गीता श्रीवास्तव विजिया ठाकुर, संतोष झांझी,डाॅ कमल वर्मा, डॉ सुषमा झा, श्रीमती वंदना गोपाल शर्मा शैली , अनीता झा ,मंजू सरावगी, मोहिनी ठाकुर आदि कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया। आभार प्रकट संतोष श्रीवास्तव जी ने ,तकनीकी सहयोग स्वस्तिका सरावगी ने किया।