अपना पता ही नहीं मिला

Premdeep

अपना पता ही नहीं मिला

अपना पता ही नहीं मिला,
मैं कहां खो गई मुझे खबर ही नहीं ।
यूं तो मुझसे दुनिया मौसम की तरह मिलते रहे,
जाने किस सफर पे मेरा वजूद अपनी कदमों पर रखे ओ कब ले गया।