कांग्रेस नहीं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस- देश की सबसे पुरानी पार्टी ने बदली रणनीति, ला रही है ये बदलाव
बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कांग्रेस के राष्ट्रवाद और कांग्रेस नेतृत्व की भारतीयता पर सवाल उठाते रहते हैं. इसलिए अब कांग्रेस इसी का तोड़ निकालते हुए नया पैंतरा आजमाने जा रही है.
देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक कांग्रेस इन दिनों खुद को नए रंग में रंगने की कोशिश में लगी है. दरअसल पार्टी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अपने प्रवक्ताओं/नेताओं को टीवी बहसों और प्रेस कॉन्फ्रेंस/भाषणों के दौरान कांग्रेस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नाम का इस्तेमाल करने की सलाह देने के लिए पूरी तरह तैयार है. असल में पार्टी अपने नए नाम से यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस वही भारतीय पार्टी है, जिसने देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी.
इसके पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि अक्सर बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के राष्ट्रवाद और कांग्रेस नेतृत्व की भारतीयता पर सवाल उठाते रहते हैं. सूत्रों ने कहा कि इसलिए, इस बात को दोहराना अब जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी भारतीय है, भारतीयता में विश्वास राष्ट्रवादी हैं और कांग्रेस का नेतृत्व भी भारतीय है. इतना ही नहीं, भारत और भारतीयता में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी ने पिछले दिनों उदयपुर में पार्टी के प्रस्ताव को हिंदी में पढ़ा और हिंदी में ही इसे जारी किया गया. फिर बाद में इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया.
कांग्रेस पार्टी में यह पहली बार है कि प्रस्ताव हिंदी में पारित किए गए और बाद में उनका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया. अब तक, प्रस्तावों को हमेशा अंग्रेजी में पारित किया जाता था और फिर उनका हिंदी अनुवाद मीडिया को उपलब्ध कराया जाता था. संचार रणनीति में बदलाव करते हुए कांग्रेस पार्टी ने समिति के गठन के तुरंत बाद 2024 के लिए गठित की गई टास्क फोर्स की बैठक की.
जिसमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को विशेष रूप से बुलाया गया और तस्वीरें तुरंत मीडिया को जारी की गईं ताकि आम कार्यकर्ता कांग्रेस की गंभीरता का संदेश मिले. उदयपुर में पार्टी ने नव संकल्प शिविर में संचार को मौलिक रूप से बदलने का प्रस्ताव पारित किया था. राहुल गांधी ने भी हमेशा माना है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रचार प्रणाली कांग्रेस से काफी बेहतर है और उन्हें भाजपा के प्रचार के तरीके से सीखने की जरूरत है.