10 साल बाद विधायक यू. डी. मिंज के प्रयास से शासकीय हाईस्कूल कंदईबाहर का हायरसेकेण्डरी में हुआ उन्नयन , अब गांव में ही मिलेगी बच्चों हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा, पद हुए स्वीकृत
जशपुर |
विधानसभा क्षेत्र कुनकुरी के फरसाबाहर ब्लॉक के कंदईबाहर हाइस्कूल स्कूल का हायर सेकेण्डरी स्कुल में उन्नयन किया गया है। इससे अब आसपास के ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे, उनके बच्चे अब गांव में हाईस्कुल के साथ हायर सेकेंडरी की शिक्षा प्राप्त करेंगे।
कुनकुरी विधायक यू. डी. मिंज की पहल पर इन 5-6 गांवों के लगभग 50बच्चे अब अन्य गांव जाने की बजाए अपने ही गांव के स्कूल में पढ़ाई करेंगे। ज्ञात हो कि कंदईबाहर 2013 में उन्नयन होकर हाईस्कुल बना जिसमें पूर्व माध्यमिक शाला तुबा,पूर्व माध्यमिक शाला कंदईबाहर, पूर्व माध्यमिक शाला पगुराबाहर शामिल थे, इन स्कूलों में पढ़ाई कर बच्चे शासकीय हाईस्कुल कंदईबाहर में पढ़ते थे, हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई के लिए बच्चों को 10-12 किमी की दुरी तय कर हायरसेकेण्डरी स्कूल पंडरीपानी, हायरसेकेण्डरी तपकरा या अन्य स्कुल जाना पड़ता था. अब आसपास के गाँव पामशाला, पगुराबाहर, कंदईबाहर, तुबा, छिरोटोली के बच्चों को दूर नहीँ जाना होगा, ये बच्चे अब शासकीय हायरसेकेण्डरी स्कुल कंदईबाहर में 11 वीं एवं 12 वीं की पढ़ाई कर सकेंगे.
इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने व्याख्याता 4 पद, 01 शिक्षक, सहायक शिक्षक 01, ग्रंथपाल 01, सहायक ग्रेड-03 1पद,भृत्य (नियमित) 01 पद, चौकीदार 01 पद पर स्वीकृति प्रदान की है.
शिक्षा के लोक व्यापीकरण के लिए विधायक यू. डी. मिंज ने क्षेत्र के स्कूलों का उन्नयन किए जाने की मांग उठाई थी। प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने शासकीय हाईस्कुल कंदईबाहर को हायरसेकेंडरी का दर्जा प्रदान किया गया है। इन स्कूलों के उन्नयन हो जाने से ग्रामीण बच्चों को अपने ही गांव के स्कूल में पढ़ने की सुविधा मिल जाएगी। आसपास के 5-6 गांवों के लोगों में स्कूल का उन्नयन हो जाने से क्षेत्र वासियों में हर्ष व्याप्त है।
क्षेत्रीय विधायक यू. डी. मिंज ने प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया है। विधायक श्री मिंज ने कहा है कि हर गांव में समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के हर संभव प्रयास किए जा रहे है।गांवों के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं के लिए विकास कार्य किए जाएंगे। वहीं जिन स्कूलों का उन्नयन शेष रह गया है। उनके प्रस्तावों को पास कराकर शीघ्र उन्नयन कराया जाएगा। ताकि बच्चों को अपने ही गांव में पढ़ाई की सुविधा मिल सके।