"छत्तीसगढ़ विश्व मैत्री मंच की काव्य गोष्ठी में बिखरे शानदार बसंत के रंग,,
आज अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच के स्थापना दिवस पर मंच की छत्तीसगढ़ इकाई के तत्वावधान में "बसंत काव्य गोष्ठी "का गरिमामय आयोजन वृंदावन सभागार में किया गया
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि हिन्दी की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ सविता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में बसंत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा-ऋतुओं के राजा बसंत है ,इस दिन मां सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के कमंडल के जल से हुआ ,वीणा और पुस्तक धारण करके मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ और सरस्वती ने जब धरती में नीरसता देखी तो उन्होंने अपने वीणा के तार से तान छेड़ी संगीत से जीवंतता तथा चेतना फैलाई, चारों ओर हरियाली छा गई और फूल खिल गए वातावरण मनोहरी हो गया,यही हैं बसंत ऋतु ।बसंत सौंदर्य का प्रतीक है, बसंती वातावरण मन को मोह लेती है, स्वास्थ्य वर्धक रितु है। मानव जीवन के युवावस्था का प्रतीक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समीक्षक और गीतकार दिनेश गौतम ने कहा "कि इस तरह की काव्य गोष्ठियों में व्यक्ति भाषा का संस्कार लेकर जाता है और यह भाषा का संस्कार व्यक्ति को रचना धर्मिता से जोड़ता है यह काव्य गोष्ठी की सार्थकता को सिद्ध करता है।
छत्तीसगढ़ इकाई की पूर्व अध्यक्ष और साहित्य कार नीता श्रीवास्तव ने विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित प्रबुद्ध जनों को सम्बोधित करते हुए कहा "
संस्था के प्रति समर्पण एक न एक दिन सम्मान का हकदार बनता हैअतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित करने के बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई |
सरस्वती वंदना का सुमधुर स्वर में पाठ किया ईरा पंत जी ने किया। मुख्य अतिथि डा सविता मिश्रा का स्वागत मंजुला श्रीवास्तव जी ने कार्यक्रम अध्यक्ष दिनेश गौतम जी का स्वागत मीता अग्रवाल ने ,विशेष अतिथि नीता श्रीवास्तव का स्वागत रत्ना पांडेय ने , भोपाल से पधारी लघु कथा विशेषज्ञ कांत राय विशेष अतिथि का स्वागत सीमा निगम वमीता अग्रवाल ने,निदेशक डा मंजुला श्रीवास्तव का स्वागत अमृता शुक्ला द्वारा तथा अध्यक्ष डा मीता अग्रवाल का स्वागत वृंदा पंचभाई द्वारा शॉल श्री फल देकर किया गया ।
अध्यक्ष डॉ मीता अग्रवाल ने संस्था का परिचय देते हुए कहा-इस संस्था में कार्य करना एक महायज्ञ में आहुति देने के समान है, कहा कि वर्ष भर तन-मन-धन से समर्पित संचालक मंडल, जो पटल को सक्रिय बनाए रखते हैं, उनके सम्मान सेआज अभिभूत हूँ,
इस अवसर पर सभी संचालको डॉ अमृता शुक्ला, दिनेश गौतम, नीलिमा मिश्रा, वृंदा पंचभाई,शीलू लूनिया ,रत्ना पांडेय, ईरा पंत तथा गीता भट्टाचार्य को पटल संचालक सम्मान से सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन रत्ना पांडेय और ईरा पंत ने किया
इस अवसर पर काव्य पाठ करने वालो में-
तेरी नर्म नाजुक उंगलियों की पकड़ छुटई जाती है ,दिन लम्हे से बीत गए बिटिया पराई हो जाती है, कविता दिलीप वरवंडकर, पित्त वर्ण विदा हुए खिल उठी बाहर कली-कली किसलय से करती मनुहार गीत विजया ठाकुर ,आंगन में बिखरा है जूही के फूल लहरों पर तिराए सपनों के कूल मंजु गोयल, हम भारतवासी ही जग को सुंदर सुखद बनाएंगे शोभा मोहन श्रीवास्तव, आया सुंदर मधुमास सखी है फूल खिले डाली डाली खुली हुई है चंपा चूड़ी मोगरा चमेली मतवाली गीत अनीता झा, आज के परिपेक्ष में कारण चुनावी समर सभा पर लघु कथा नीलिमा मिश्रा, लो बसंत आ गया लेकर मधुमास धरती सज गई रंग-बिरंगे फूलों से ज्योति परमाले, दौड़ खुशियों ने उठा लिया रंग हरा सारा जग खुशियों से हरा हो गया गीत विद्या गुप्ता भिलाई, मधुमासी पुरवाई महकी सुधिया नित्य जागती है याद तुम्हारी मन उपवन में तितली सी मंडराती है गीत मीता अग्रवाल मधुर ने
फूलों के अन्तस् में सुरभित,
सरिताएँ होती हैं।
संबंधों की नारी-मन में ,
कविताएँ सोती हैं, मंजुला श्रीवास्तव ने गीत सुनाकर खूब तालियां बटोरी।चंद्रकला त्रिपाठी, डा कमल वर्मा, ',सीमा निगम ,डा अमृता शुक्ला,, अर्चना अनुपम विजया ठाकुर, साधना दुबे, विद्या गुप्ता, वृंदा पंच भाई, सुधा शर्मा 'कोयल '
उपस्थित थी।
आमंत्रित कवियों में राजेश जैन राही, सुरेंद्र रावल
दिलीप वरवंडकर,ने काव्य पाठ कर समां बांध दिया।
मुख्य अतिथि डा सविता मिश्रा ने अपनी कविता से सदन का उत्साह बढ़ाया
जिसकी पंक्तियाँ थीं "फाग गीत -फागुन में कान्हा कैसे बांसुरी बजाए कैसे बांसुरी बजाए राधा भी मोही गोपिया भी मोही कान्हा कैसे नाच नचाए
सुन कर खूब वाहवाही बटोरी।दिनेश गौतम ने -
एक सजीला फागुन आया
विरही गीतों की तानें जब, ख़ूब चलाए आरी...
अटका रहा पलाश की टहनी,
फागुन द्वार न आया,
पल-पल जिनको याद किया,उन सबने मिल बिसराया।
कहाँ गई वे मीठी यादें, वे मधु - ऋतुएँ सारी... सुनाई।
भोपाल से पधारी विशिष्ट अतिथि कांता राय जी ने लघु कथा लेखन एवं काव्य लेखन की विशेषताओं एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए लघु कथा एवं काव्य पाठ किया।
विशिष्ट अतिथि नीता श्रीवास्तव ने यह सुनाकर समा बांध दिया कि '
बहुत लिखा है सबने हम पर कभी हमें भी पढ़ कर देखो ।
टीस, वेदना पीड़ा के भी पन्ने कभी पलट कर देखो।।
शाल श्री फल और मोमेंटो द्वारा अतिथि गण और संचालक मंडल का सम्मान किया गया |
ध्यातव्य है कि विश्व मैत्री मंच की स्थापना श्रीमती संतोष श्री वास्तव द्वारा की गयी थी ,कई प्रदेशों में इनकी इकाई साल भर साहित्यिक गतिविधियों का संचालन करती हैं ।अंत में आभार प्रदर्शन वृंदा पंचभाई द्वारा किया गया।