मजदूर
Premdeep
![मजदूर](https://hamarawaaz.com/uploads/images/2024/04/image_750x_6631223fd3bd8.jpg)
मेहनतकश मजदूर हूं ,
रोटी के लिए तरसता हूं ।
अमीरों की शान के लिए,
टूट टूट कर बिखरता हूं ।
मेरी संवेदनाओं पर लेप,
पसीने से रोज छिड़कता हूं ।
कंधों पर मेरी हजारों बोझ,
सुबह से रात तब चलता हूं।
पेट की आग मिटाने के लिए,
यतन परिश्रम का करता हूं ।
जलता हूं कड़ी धूप में फिर भी,
औरों के लिए शीतलता हूं।