रिटायर हुआ मिग-21 फाइटर जेट, चंडीगढ़ में भावुक विदाई समारोह

भारतीय वायुसेना के सबसे पुराने और चर्चित फाइटर जेट मिग-21 को आधिकारिक रूप से रिटायर कर दिया गया। चंडीगढ़ में आयोजित भावुक विदाई समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए और इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारतीय वायु सेना के मिग-21 लड़ाकू विमान बेड़े के डीकमीशनिंग समारोह में शामिल हुए। सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सीओएएस जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और सीएनएस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी मौजूद थे।
रक्षा मंत्रालय ने अपने आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट पर लिखा, हम तुम्हें याद रखेंगे, मिग-21। भारतीय वायुसेना के महान प्रतीक और इस निडर योद्धा ने अपनी वीरता की छाप पीढ़ियों तक बनाए रखी है। इसकी अंतिम उड़ान एक ऐतिहासिक युग के अंत का प्रतीक है। भारतीय वायुसेना गर्व के साथ इसकी विरासत का जश्न मनाती है। साथ ही, वायुसेना इनोवेशन और स्ट्रैंथ के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रही है। आइए, मिग-21 की सेवानिवृत्ति को भव्य विदाई के साथ सम्मानित करें।
लगभग 6 दशक पहले, साल 1963 में मिग-21 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। पहला मिग-21 स्क्वाड्रन 1963 में चंडीगढ़ में स्थापित किया गया था। भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद इस लड़ाकू विमान ने कई मोर्चों पर भारत की जीत में भूमिका निभाई।
संख्या में सीमित होने के कारण भी मिग-21 विमानों ने 1965 के युद्ध में भूमिका निभाई। 1971 के युद्ध में इन फाइटर जेट्स का योगदान और भी महत्वपूर्ण रहा। इससे भारतीय वायुसेना को पश्चिमी क्षेत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं और क्षेत्रों पर हवाई श्रेष्ठता मिली। मिग-21 को कारगिल युद्ध में भी तैनात किया गया था। यह अक्सर कमांडरों की पहली पसंद होता था।
इसकी आसमान में गर्जना राष्ट्र के आत्मविश्वास के साथ गूंजती थी। इसे कई फिल्मों में भी दर्शाया गया है। इस विमान से जुड़ी अनगिनत कहानियां और किस्से हैं, जिन्हें मिग-21 हमेशा के लिए पीछे छोड़ रहा है।