काम पर तो नहीं लौटे पटवारी, नक्सल भत्ता भी मांगा
छत्तीसगढ़ में पटवारियों की हड़ताल 28 दिन से जारी है। वेतन विसंगति, संसाधन, भत्ते और पदोन्नति जैसी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे पटवारियों ने मंगलवार को नक्सली भत्ते की नौवीं मांग भी जोड़ दी है। पटवारियों की आठ मांगों में वेतन विसंगति का मामला वित्त विभाग का होने के कारण इस पर राजस्व सचिव के साथ हुई बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के लगभग पांच हजार से ज्यादा पटवारी 15 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। नवा रायपुर के धरना स्थल के अलावा जिले आैर तहसील स्तर पर भी पटवारियों की हड़ताल जारी है। हड़ताल के कारण लोगों को हो रही परेशानी के बीच राज्य सरकार ने पहले एस्मा लगाया और फिर बाद में पटवारी से मिलने वाले सभी जरूरी दस्तावेजों काे हड़ताल तक के लिए शिथिल कर दिया है। पटवारियों का कहना है कि वरिष्ठता के आधार पर उनका प्रमोशन किया जाए।
नए पटवारी और जो रिटायरमेंट के करीब वे हड़ताल में शामिल नहीं हैं।
पटवारियों के घरों में शासन का नोटिस चस्पा- काम पर लौटें नहीं तो होगी कार्रवाई।
बस्तर में नेटवर्क की समस्या से जूझने वालों को मुख्यालय से बाहर रहने पर नोटिस।
सलेक्शन के बाद एक साल तक ट्रेनिंग में सिर्फ 2500 रुपए स्टाफंड दिया गया।
एस्मा लगने के बाद जिलों और तहसीलों से उखड़ने लगे पंडाल।
नक्सली भत्ते की मांग क्यों?
बताया गया है कि पटवारियों ने दिसंबर 2020 में लगभग 14 दिनों तक अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। उस समय नक्सली भत्ता समेत कुल नौ मांगे थी। इसके पीछे उनका तर्क है कि नक्सल इलाकों में स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को दिए जाने वाले नक्सली भत्ते की तर्ज पर पटवारियों को भी यह मिले। वे भी नक्सल क्षेत्रों में काम करते हैं।
आमने-सामने
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन के सचिव एनएन एक्का ने कहा कि हड़ताल पर बैठे पटवारी संघ के पदाधिकारियों को मैने मिलने के लिए बुलाया था। उनकी मांगों पर बातें हुई। पटवारी आपस में बैठक कर अपने निर्णय से मुझसे अवगत कराएंगे तभी आगे पहल कर पाउंगा।
वहीं छत्तीसगढ़ पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भागवत कश्यप ने कहा कि सरकार ने सभी का ऑनलाइन कर दिया है। अब संसाधन नहीं देंगे तो काम कैसे कर पाएंगे। 2020 में मिले आश्वासन के बाद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया इसलिए हम आंदोलन जारी रखेंगे।