छत्तीसगढ़ में राजनीति का "नशा"...लखमा बोले-नोटबंदी जैसी अचानक नहीं होगी शराबबंदी, भाजपा ने स्थिति स्पष्ट करने कहा

छत्तीसगढ़ में राजनीति का "नशा"...लखमा बोले-नोटबंदी जैसी अचानक नहीं होगी शराबबंदी, भाजपा ने स्थिति स्पष्ट करने कहा

 प्रदेश में इन दिनों धर्मांतरण और शराबबंदीके मुद्दे पर सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार  को विपक्षी लगातार शराबबंदी के मुद्दे पर निशाने पर ले रहे हैं. वहीं आम जनता भी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी  को लेकर मुखर होने लगी है. भाजपा समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि चुनाव लड़ने के समय कांग्रेस ने शराबबंदी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. कांग्रेस ने कहा था कि उनके सत्ता में आते ही प्रदेश में शराबबंदी हो जाएगी. लेकिन का कहना है कि अब तो कांग्रेस की सरकार बने करीब तीन साल गुजरने को हैं, लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शराबबंदी नहीं कर सकी है.

रायपुर सहित पूरे प्रदेश में शराब की खपत दिन प्रति-दिन कम ज्यादा होते रहती है. बात अगर प्रदेश के कुछ जिलों की करें तो सबसे अधिक खपत होने वाले जिलों में रायपुर दुर्ग बिलासपुर और राजनांदगांव हैं. जहां पर शराब की प्रतिदिन खपत अन्य जिलों की तुलना में अधिक होती है. आबकारी विभाग के मुताबिक रायपुर जिले में प्रतिदिन 4 करोड़ 20 लाख रुपए की देसी और अंग्रेजी शराब  की बिक्री होती है. जिले में 1 महीने की शराब की बिक्री की बात की जाए तो लगभग 125 करोड़ रुपए की शराब की बिक्री होती है.

आज के समय में प्रदेश में शराबबंदी बहुत जरूरी हो गया है प्रदेश में लोग शराब के आदी (Addicted To Alcohol) होते जा रहे हैं जो कि उनके सेहत के साथ-साथ परिवार में लड़ाई झगड़े का भी कारण बनते जा रहा है. वहीं, प्रदेश में लगातार अपराध के मामले की बढ़ते जा रहे हैं. जिसका एक मुख्य कारण शराब है. इसलिए प्रदेश में शराबबंदी और जरूरी हो जाता है. कोविड के समय यह देखने को मिला कि प्रदेश में शराब दुकानें तो बंद रहीं लेकिन इस वजह से कुछ लोग स्पिरिट और सैनिटाइजर (sanitizer) पीने लगे. जिससे कुछ लोगों की जान तक चली गई. धीरे धीरे लोगों को शराब पीने से रोकना बहुत जरूरी हो गया है. इस बारे में ईटीवी भारत ने राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता से बातचीत की.

राज्य हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि जिन लोगों को शराब की लत है, वह इसकी उपलब्धता नहीं होने पर दूसरे नशे के लिए बाध्य होते हैं. मानसिक और शारीरिक रूप से इसमें ऐसा नशा जो वो पहले से नहीं करते हैं वो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है. इसके लिए सामाजिक जागरूकता भी बेहद जरूरी है. शराबबंदी को लेकर अभियान जरूरी है, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से उसकी निर्भरता कम की जा सके. जो लोग शराब से ज्यादा जानलेवा नशा करने लगते हैं, उनके जान पर बन आती है. अधिकांश लोग आत्महत्या की ओर रुख कर लेते हैं.

शराब ज्यादा पीने से ऑर्गन फैलियर और लिवर फेलियर का भी खतरा बढ़ जाता है. शराब पीना और दूसरे नशे करना शरीर के लिए बहुत घातक हो सकते हैं. लिवर फैलियर की बीमारी इन दिनों बहुत देखी जा रही है. जो लोग शराब के बहुत आदी हैं, वैसे लोगों की मौत भी हो जाती है. इसे ऑर्गन फैलियर में मुख्य रूप से पेट संबंधित बीमारियां, लीवर संबंधित बीमारियां या किडनी फैलियर होना बहुत सामान्य बात है. मानसिक रूप से जब बहुत सारे लोग शराब पर निर्भर हो जाते हैं, तब मानसिक विकार भी आने लगते हैं. इससे पूरा परिवार और नशे का आदी व्यक्ति सब का शिकार होने लगते हैं. हम सब को यह समझना जरूरी है कि नशे से दूर रहना चाहिए.

प्रदेश में भले ही एक साल में शराबबंदी नहीं होगी, अगले साल भी नहीं होगी तो देखेंगे, लेकिन जल्दबाजी में प्रदेश में शराबबंदी नहीं करेंगे. यह कहना है प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का. कवासी लखमा के इस बयान के बाद एक बार फिर भाजपा को बैठे-बैठे मुद्दा मिल गया है. भाजपा ने लखमा के इस बयान को कांग्रेस सरकार द्वारा आगामी 2 सालों में भी पूर्ण शराबबंदी न किये जाने का संकेत माना है. लखमा के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने सवालिया लहजे में पूछा है कि लखमा ने यह बयान होश में दिया है, या बेहोशी में ? उनके द्वारा कहा जाता है कि कोरोना के दौरान शराब न मिलने से कुछ लोगों ने अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हो गई. सरकार दो चार छह लोगों की मौत की बात कह रही है, लेकिन शराब की वजह से जो आयेदिन लोग मर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, महिलाएं परेशान हैं, अपराध बढ़ रहा है, हत्या हो रही है, इसकी चिंता सरकार को नहीं है.

प्रदेश में शराबबंदी तो दूर की बात है, सरकार इस पर विचार कर रही है कि घर-घर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शराब कैसे पहुंचाई जाए. उससे ज्यादा से ज्यादा रिवेन्यू कैसे जेनरेट किया जाए. साथ ही ऊपरी कमाई किस तरह की जाए, उसकी भी तैयारी सरकार द्वारा की गई है. श्रीवास्तव ने भूपेश सरकार से मांग की है कि शराबबंदी को लेकर स्थिति को स्पष्ट करें कि प्रदेश में शराबबंदी होगी या नहीं. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को सामने आकर कहना चाहिए कि अब हम शराबबंदी नहीं करेंगे. अगर शराबबंदी नहीं करेंगे तो शराब के समर्थन में रैली निकालें, आम सभाएं करें. शराब के समर्थन के लिए राहुल-सोनिया को बुलाकर यह घोषणा करें. क्योंकि इन दोनों ने शराबबंदी की बात कही थी.

प्रदेश की आधी से ज्यादा युवा पीढ़ी शराब और नशे के कारण बर्बाद होती जा रही है. इस बात को देखते हुए प्रदेश में शराबबन्दी लागू होनी चाहिए. मैं सरकार से अपील करना चाहूंगा कि जल्द से जल्द शराबबंदी लागू की जाए. लेकिन सरकार शराबबंदी करेगी, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. प्रदेश में कोई भी सरकार आए, लेकिन शराबबंदी झूठे वादों पर ही चल रही है. समाज को बचाने के लिए शराबबंदी अनिवार्य है.