भाजपा के दिग्गज नेता और जिला सहकारी बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन गिरफ्तार
जिला सहकारी बैंक दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष हैं बेलचंदन
दुर्ग। राजनीतिक गलियारे से बड़ी खबर सामने आ रही है। भाजपा नेता और जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ज्ञात हो कि घोटाले के आरोप में बेलचंदन के खिलाफ एफआईआर हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने हिरासत में लिया है। 2014 से 2020 के बीच का यह मामला है। बेलचंदन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष रहे हैं और 2008 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। दुर्ग कोतवाली थाना क्षेत्र में मामला पंजीबद्ध था।
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित में 14.89 करोड़ रुपए से ज्यादा के गबन का मामला सामने आया था। इसे लेकर दो साल पहले बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पंकज सोढी ने दुर्ग कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई थी। बैंक के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीजेपी नेता प्रीतपाल बेलचंदन सहित संचालक मंडल पर बिना अनुमति अनुदान राशि और एकमुश्त समझौता योजना में छूट देने का आरोप था। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में प्रीतपाल बेलचंदन और निर्वाचित संचालक मंडलजून 2015 से जून 2020 तक कार्यरत थे। आरोप है कि अप्रैल 2014 से मई 2020 के बीच पंजीयक सहकारी संस्थाएं से बिना अनुमति लिए 234 मामलों में 1313.50 लाख की अनुदान राशि गोदाम निर्माण के लिए दी गई। ऐसे ही अगस्त 2016 से जून 2019 तक एकमुश्त समझौता योजना में नियमों के विपरीत जाकर 186 मामलों में 175.61 लाख की छूट प्रदान की गई। बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन और निर्वाचित संचालक मंडल पर धोखाधड़ी का आरोप था। कलेक्टर से की गई शिकायतों के आधार पर तत्कालीन एडीएम बिरेन्द्र बहादुर पंचभाई, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं विनोद कुमार बुनकर, आॅडिटर अजय कुमार और कोआॅपरेटिव इंस्पेक्टर एके सिंह की संयुक्त जांच टीम गठित की गई थी। टीम ने जांच कर 248 पन्नों की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी और इसमें बैंक के आर्थिक नुकसान की बात कही गई। सहकारिता के चाणक्य माने जाने वाले प्रीतपाल बेलचंदन ने करीब ढाई साल पहले इखढ से इस्तीफा दे दिया था। वे करीब 20 साल से भाजपा में सक्रिय थे। साल1997 में पहली बार बैंक के संचालक मंडल में चुनकर आए। 2004 में पुनर्गठन समिति के अध्यक्ष बने। 2008 से लगातार जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे। इस दौरान भी उनके ऊपर बैंक गतिविधियों पर अनियमितता के भी आरोप लगे थे। तब उन्हें पद से हटाने के आदेश दिए गए।