कूर्मि महासभा ने महामहिम राष्ट्रपति से उच्च न्यायलयों के 334 रिक्त पदों में ओबीसी, एसटी/ एससी एवं अल्पसंख्यक वर्ग के न्यायधीशों की नियुक्ति हेतु न्यायिक सेवा आयोग गठन के लिए किए मांग

कूर्मि महासभा ने महामहिम राष्ट्रपति से उच्च न्यायलयों के 334 रिक्त पदों में ओबीसी, एसटी/ एससी एवं अल्पसंख्यक वर्ग के न्यायधीशों की नियुक्ति हेतु न्यायिक सेवा आयोग गठन के लिए किए मांग

रायपुर:- अखिल भारतीय कूर्मि महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जीतेन्द्र कुमार सिंगरौल ने राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रोपदी मुर्मू से उच्च न्यायलयों के 334 रिक्त पदों में ओबीसी, एसटी/ एससी एवं अल्पसंख्यक वर्ग के जजों की नियुक्ति की मांग किए है। यह मांग उन्होने राज्यसभा के अतारांकित प्रश्न क्र. 1870; जिसका उत्तर श्री किरेन रीजीजू, विधि एवं न्याय मंत्री द्वारा दिनॉक 16 मार्च, 2023 को दिए गए उत्तर के परिपेक्ष में महामहिम का आकृष्ट कराया है कि राज्य सभा के अतारांकित प्रश्न क्र. 1870 से प्राप्त उत्तर के अनुसार देश के सभी उच्च न्यायलयों में कुल 334 न्यायधीशों के पद रिक्त हैं। डॉ. सिंगरौल ने पूरे भारत में कोर्ट लंबित मामलों के आंकड़ों का हवाला देते हुए महामहिम को अवगत कराया कि माह दिसंबर 2022 तक कुल लंबित रहने वाली सभी कोर्ट मामलों की संख्या बढ़कर 5 करोड़ हो गई र्है, जिसमें जिला और उच्च न्यायालयों में 30 से भी अधिक वर्षों से लंबित 169,000 मामले शामिल हैं। इन 5 करोड़ मामलों में से 4.3 करोड़ यानी 85 प्रतिशत से अधिक मामले सिर्फ जिला न्यायालयों में लंबित हैं तथा सरकार स्वयं सबसे बड़ी वादी है, जहां 50 प्रतिशत लंबित मामले सिर्फ राज्यों द्वारा प्रायोजित हैं। इसके अलावा उन्होने भारत में दुनिया के सबसे अधिक अदालती मामले लंबित होने तथा वर्ष 2018 के नीति आयोग की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए महामहिम को अवगत कराया कि अदालतों में मामलों को तत्कालीन दर पर निपटाने में 324 साल से अधिक समय लगेगा, जबकि वर्ष 2018 में केवल 2.9 करोड़ मामले कोर्ट में ही लंबित थे। अदालतों में देरी होने से पीड़ित और आरोपी दोनों को न्याय दिलाने में देरी होती है तथा देश के प्रगति अवरूद्व होता है। डॉ. सिंगरौल ने वर्तमान समय में 5 करोड़ से अधिक मामले होने के बावजूद न्यायलयों में कुल 334 न्यायधीशों के पद रिक्त होना बेहद चिंताजनक है तथापि देश की 85 प्रतिशत आबादी को आजतक न्यायपालिका में समुचित प्रतिनिधित्व भी नहीं एक गंभीर सामाजिक असमानता है।
  इन तमाम पहलूओं पर अखिल भारतीय कूर्मि महासभा की ने उच्च न्यायलयों के 334 रिक्त तत्काल नियुक्ति कराने हेतु न्यायिक सेवा आयोग के गठन की मांग किया है तथा नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चत करने के लिए अनुसूचित जाति/जन जाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं अल्प संख्यक वर्ग के लोगों को अवसर दिए जाने का आग्रह किया है; जिससे लंबित मामलों पर फैसला जल्दी आएगा और विचाराधीन कैदियों को न्याय मिलेगा! इससे निर्दाष कैदी अपने परिवार के साथ साथ समाज एवं देश के नव निर्माण हेतु काम आएंगे।