हर शब्द फूल बनकर

डॉ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छग

हर शब्द फूल बनकर

मन गीत गुनगुनाता मनमीत को समर्पित। 
जग प्रीत की कहानी
बढ़ बेल-सीअमर नित।। 

जब दीप से पतंगा है प्रेम पग बढ़ाता। 
संसार सार जग में जी नेह 
प्राण अर्पित।। 

जब प्रीत लौ जलाती अंधेर राह सूझे। 
दिखता सभी हरा है
अवधारणा पराजित।। 

मेरा कहा जमाना कब कान दे सुने है। 
जो ग्रंथ में लिखा है
बातें वही सुभाषित।। 

जिस पंथ में बढे़ पग बस प्रीत ही लुटाना। 
पर ध्यान ये रखें सब हो पंथ न विवादित।। 

जो गीत ओंठ गाएं सब राज जान जाएँ। 
हर शब्द फूल बनकर
मन को करे प्रभावित।।