नवगीत

डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़

नवगीत

नवगीत 

 मधुमासी पुरवाई महकी
 सुधियाँ नित्य जगाती हैं।
याद तुम्हारी मन-उपवन में
तितली-सी मँडराती है।।

अभिनन्दन नव कोपल विकसित 
रतिपति शृंगारित माया,
भाँति-भाँति प्रसून-दल पल्लव
मगन संत-सी ज्यूँ काया, 
भ्रमर कली गूँजे संदेशा
प्रिया मंद मुसकाती है।
याद----

दिग्-दिगंत मानस मन मुखरित 
भोर ओस की बूँद सनी
सरसों केसर अंध-गंध जग
माणिक मोती हरित कनी
सिहरन देती वात सुहानी 
निशा सुधा बरसाती हैं।
याद------

आभिजात्य रितु पर्व अलोकित
धन विलासिता सनक नशा
अंबर ओढ़े धरा बिछौना
कृपण मनुज की दीन दशा
अरुण लालिमा ताप भली-सी
ठिठुरन देह मिटाती हैं।
याद---------

डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़ 
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