नारी आदिशक्ति

Premdeep

नारी आदिशक्ति

मुझसे है तू 
मैं नहीं तुझसे,
मैं विश्वास हूं, विवश नहीं ।
न कर प्रतिघात मुझसे, 
ना तिरस्कृत कर मेरी भावनाओं को,
मैं रणचंडी संघार हूं ।
मैं प्रेम की रस, ममता से वश,
मुझे विष भरी आंखों से ना प्रतिकार तू,
जननी सृष्टि की दात्री,
सहारा बनके नारी के रूप में,
साथ रही हर बार चली,
मां बहन पत्नी प्रियसी
ढाल बनी जीवन में तेरी
कमजोर पड़ा उस राह कभी
थाम ली मैंने हाथ तभी ।
दिवस पूज रहा पत्थर को,
ये रास कैसी दिन रात चली,
मन बैठा है अंधेरे में,
मूरत के आगे जोत जली ...।