बगुला भगत जमाना

डॉ मीता अग्रवाल मधुर

बगुला भगत जमाना

हो ताक में खड़ा जब बगुला भगत जमाना। 
तट पर खड़े न रहना
कीचड़ बड़ा पुराना ।। 

कटु चाल से भरा मन
बढ़ पाँव खीचता तब । 
आशा भरी विताने 
उस मार्ग में बहाना ।। 

जीवन बडा़ कठिन है
पग-पग बिछी कुचालें
निष्ठुर कराल चालें
 मन भांँप पार पाना ।। 

निर्भीक मन अडिग पग
बढ़ना न डगमगाना । 
हो पाँव में फफोले धर धीर  मुस्कुराना ।। 

चमके गगन सितारे
ज्यौ साँझ चाँदनी मे। 
ढलते हुए उजाले
पथ चाँद जगमगाना।। 

कर पार राह काँटे  
मैं का हुआ विसर्जन । 
नव धारणा मधुर गढ़ 
साधे कदम बढ़ाना ।।