नभ तिरंगा चूमता

डॉ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छग

नभ तिरंगा चूमता

लाल भारत के खड़े जब हिन्द की पहचान लेकर। 
काँपते थर अरि सभी  सिंह गरजना हिय भान लेकर।। 

नभ तिरंगा चूमता लहरे हमारी अस्मिता जग। 
भाल ऊँचा ज्यों हिमालय
वीरता जयगान लेकर ।। 

टूटता तारा कहें अभिलाष पूरन हो मनोरथ। 
देश हित ही मर मिटे बाँधे कफन सम्मान लेकर।।

भारती माँ आरती जन नित उचारें साधना कर । 
अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित
जय-विजय वरदान लेकर।। 

है सदा मन में भरा  ममता दया सद्भावना ही । 
कंठ धारण नील करते ज्यों शिवा  विषपान लेकर।। 

भीष्म-तप- बल -कामना गंगा भगीरथ भावना भर। 
धैर्य-संयम-शील परिचय
एकता उत्थान लेकर ।। 

कामना बस एक ही फिर
यह तिरंगा आसमां पर । 
विश्वगुरु बन जाय भारत
फिर नया सा ज्ञान लेकर।।