बस्तर के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर आयोजित 05 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन आज पद्मश्री सम्मानित काष्ठशिल्पी एवं लोककला विशेषज्ञ श्री अजय मंडावी, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुराविद् श्री जी. एल. रायकवार, शासकीय महाविद्यालय सुकमा के सहायक प्राध्यापक श्री ओम प्रकाश सोनी का व्याख्यान
22 अगस्त 2024
जगदलपुर - बस्तर के सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर आयोजित 05 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन आज पद्मश्री सम्मानित काष्ठशिल्पी एवं लोककला विशेषज्ञ श्री अजय मंडावी, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुराविद् श्री जी. एल. रायकवार, शासकीय महाविद्यालय सुकमा के सहायक प्राध्यापक श्री ओम प्रकाश सोनी ने व्याख्यान दिया। श्री मंडावी ने शिल्प संरक्षण और आत्मनिर्भरता पर प्रशिक्षणात्मक व्याख्यान देते हुए प्रतिभागियों को हस्तशिल्प कला को रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता का माध्यम बनाकर संरक्षित करने के गुर सिखाए। श्री रायकवार ने बस्तर के दो प्रमुख प्राचीन राजवंशों नल और छिंदकनाग के इतिहास और पुरातत्त्व के बारे में विस्तार से बतलाया वहीं श्री सोनी ने काकतीय राजवंश के राजनैतिक इतिहास और उनके मूर्त अमूर्त धरोहरों प्रकाश डाला। संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के सहायक अभियंता श्री सुभाष जैन और उप अभियंता श्री पोखराज पुरी गोस्वामी ने बस्तर के राज्य संरक्षित धरोहरों गढ़धनोरा के ईंट मंदिरों और छिंदगांव के शिव मंदिर के अनुरक्षण कार्यों के प्रविधियों और तकनीक की चित्र सहित जानकारी दी। संचालनालय के रसायनज्ञ श्री भीरेंद्र धीवर ने प्राचीन स्मारक और मूर्तियों में प्राकृतिक कारणों से होने वाले क्षरण और उससे परिरक्षण करने के उपायों के बारे में बतलाया। कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के तरीकों सहित उससे जुड़े इतिहास की प्रमाणिक जानकारी विषय विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही है। कार्यशाला में दंतेश्वरी महाविद्यालय के प्राध्यापक भी उपस्थित रहे। कल बस्तर विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुकृता तिर्की और बस्तर विषयों के जानकार श्री राजीव रंजन प्रसाद जी का व्याख्यान होगा।
संचालक श्री विवेक आचार्य के मार्गदर्शन और डॉ. पी. सी. पारख़ उप संचालक के नेतृत्व में पुरातत्त्व विभाग की टीम इस कार्यशाला को आयोजित कर रही है। पुरातत्ववेत्ता श्री प्रभात कुमार सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।