शासकीय दंतेश्वरी पी. जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के द्वारा

शासकीय दंतेश्वरी पी. जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के द्वारा

शासकीय दंतेश्वरी पी. जी. महिला महाविद्यालय, जगदलपुर के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के द्वारा डॉ. आशिषधर दीवान और डॉ. हेमलता मिंज के नेतृत्व में एम. ए. द्वितीय सेमेस्टर, चतुर्थ सेमेस्टर और एम ए अंतिम वर्ष के छात्राओं को एक दिवसीय ऐतिहासिक शैक्षणिक भ्रमण हेतु बस्तर जिले में लगभग चौथी शताब्दी ई. से 13 वीं शताब्दी ई. तक के नारायणपाल में स्थित नारायण मंदिर, छिन्दक नागवंशी शासकों के अभिलेख, बारसूर में स्थित बत्तीस खंभों पर टिका हुआ बत्तीसा मंदिर, चन्द्रादित्य मंदिर, गणेश मंदिर, मामा भांजा मंदिर, दंतेवाड़ा में स्थित दंतेश्वरी मंदिर, भैरम मंदिर, गामावाड़ा में स्थित महापाषानिक पुरास्थल ले जाया गया. इस शैक्षणिक भ्रमण का उद्देश्य छात्राओं की मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ - साथ बस्तर क्षेत्र का भारतीय इतिहास में ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व क्या है? इससे अवगत कराना और प्रायोगिक पुरातत्व के क्षेत्र में शोध के लिए प्रेरित करना है.
     प्राचीन भारतीय इतिहास की छात्राओं ने गामावाड़ा स्थित महापाषाण कालीन स्मारकों में विशेष रूचि दिखाई. छात्राओं ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा गामावाड़ा और डिलमिली के महापाषानिक स्मारकों को संरक्षित किया गया है, लेकिन इसके आस पास के स्थानों में कई ऐसे स्मारक हैं जो लगभग चौथी शताब्दी ई. में शवों को दफनाने के लिए , मृत व्यक्ति की स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए किया जाता था. बस्तर की जनजातियों में यह संस्कृति आज भी किसी न किसी रूप में विद्यमान है, ऐसे अमूल्य धरोहरों को संरक्षण की आवश्यकता है. 
     इस ऐतिहासिक शैक्षणिक भ्रमण में छात्राओं को बस्तर मूर्तिकला और स्थापत्य कला के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी.