79 साल के होंगे बॉलीवुड के 'एंग्री यंग मैन'
बॉलीवुड के महानायक, शहंशाह, एंग्री यंग मैन और ना जाने कितने नामों से पुकारे जाने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन 11अक्टूबर को 79 वर्ष के हो जाएंगे. बच्चन के जन्मदिन पर आइए याद करते हैं हिंदी सिनेमा में उनके कुछ बेहतरीन सिनेमाई प्रदर्शन को..
'एंग्री यंग मैन' का खिताब उन्हें क्राइम थ्रिलर 'जंजीर' में उनके गुस्सैल किरदार विजय द्वारा शानदार अभिनय के बाद दिया गया. बिग बी के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होने के अलावा, फिल्म ने रोमांस से एक्शन तक हिंदी सिनेमा की प्रवृत्ति को बदल दिया. 'द एंग्री यंग मैन' के रूप में पहचान दिला 'जंजीर' ने बच्चन को एक उभरते हुए सितारे में बदल दिया, और उनके लंबे समय के संघर्ष को समाप्त कर दिया.
'जंजीर' के साथ रातोंरात स्टारडम हासिल करने के बाद, बच्चन ने एक बार फिर 1975 की एक्शन-ड्रामा 'दीवार' के साथ सफलता का स्वाद चखा. फिल्म ने अभिनेता के 'एंग्री यंग मैन' की छवि को उनके एक और शानदार किरदार के साथ जोड़ दिया. फिल्म का डायलॉग 'आज खुश तो बहुत होंगे तुम' आज भी यादगार है.
कई क्लासिक्स से सजी उनकी फिल्मोग्राफी की बात करें तो 1975 में रिलीज 'शोले' को कोई नहीं भूल सकता, जो उस समय भारत में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी. अमिताभ द्वारा अभिनीत जय की भूमिका आज भी दर्शकों के बीच यादगार है. 'शोले' ने शायद बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई करने और कई रिकॉर्ड तोड़ने के साथ ही बिग बी की सुपरस्टारडम की शुरुआत को भी चिह्नित किया.
'शोले' की शानदार सफलता के बाद, अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनकी बैक टू बैक हिट फिल्मों में कभी कभी (1976), अमर अकबर एंथनी (1977), डॉन (1978), त्रिशूल (1978), मुकद्दर का सिकंदर (1978) बेशरम (1978), सुहाग (1979), मिस्टर नटवरलाल (1979), शान (1980), याराना (1981), सत्ते पे सत्ता (1982) शामिल हैं.
1988 में, बच्चन ने राजनीति में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, तीन साल के अंतराल के बाद, 'शहंशाह' के साथ बॉक्स ऑफिस पर वापसी की. इस एक्शन-ड्रामा ने उन्हें एक मजाकिया पुलिसकर्मी और अपराध के खिलाफ लड़ने वाले एक सतर्क व्यक्ति के रूप में दिखाया. इसके अलावा, प्रसिद्ध संवाद 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं ... नाम है शहंशाह' उनकी शानदार आवाज में बेमिसाल है!
हालांकि, बच्चन की वापसी के बाद उनकी झोली में 1989 में रिलीज़ हुई 'जादूगर', 'तूफान' और 'मैं आज़ाद हूं' जैसी फ्लॉप फ़िल्में भी आईं. आज का अर्जुन (1990), अग्निपथ (1990) हम (1991), खुदा गवाह जैसी सफल फ़िल्मों के बावजूद बिग बी के पास हिट फिल्मों की कमी थी और उन्होंने पांच साल के लिए अभिनय से ब्रेक ले लिया.
1998 की एक्शन-कॉमेडी 'बड़े मियां छोटे मियां' ने कुछ वर्षों के अंतराल के बाद अपने करियर को पुनर्जीवित करने के लिए बिग बी की होनहार वापसी को चिह्नित किया. गोविंदा और अमिताभ अभिनीत दोहरी भूमिकाओं वाली फिल्म एक बड़ी सफल फिल्म साबित हुई.